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पटना (बिहार) के प्रख्यात पुरात्तत्त्व वेत्ता स्व. बाबू श्री काशीप्रसाद जायसवाल के पत्र
पटना आसाढ़ सु १
श्री मुनिजी को प्रणाम् ।
मि. राखालदास बनर्जी ने लिख। है कि शीघ्र आपसे वे मिलेंगे। साक्षात्कार हुआ होगा। ___आपके मित्र को प्रसन्नतापूर्वक हम लोग मेम्बर बनावेंगे । वे एक चिट्ठी मुझे लिख दे । बाहर के मेम्वरो का चन्दा सिर्फ ५) वार्षिक है। वाबू राखाल दास (श्री देवदत्त जी भाण्डारकर की जगह) सुपरिन्टेण्डेन्ट ऑफ आझियोलॉजी है, उनका दफ्तर मशहूर होगा। नही तो डाक से पत्र डाल दीजिएगा।
आपको यह सुनकर प्रसन्नता होगी कि वी. स्मिथ ने यह अब मान लिया है कि बुद्धदेव तथा महावीर स्वामी का निर्वाण काल, जैसा हम कहते हैं वही ठीक है अर्थात् जैसा कि उनके अनुयायी मानते है। यह खारवेल के लेख से सिद्ध हो गया। मि. विसेन्ट स्मिथ ने पत्र द्वारा यह मुझे लिखा है।
अधिक कुशली
मुझको टोडरानन्द धर्मशास्त्र की आवश्यकता है । यह ग्रन्थ डेकन कॉलेज मे है । कृपा कर अवसर मिलने पर देखियेगा कि कितनी बड़ी पोथी है तथा मिल सकती है या नहीं।
आपका
का० प्र० जायसवाल