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मेरे दिवंगत मित्रों के कुछ पत्र
मै नही जानता कि इस समय आपका पता क्या है । आप वम्बई विराजते है या अहमदाबाद ! जो हो, आपको अव तक पिताजी के स्वर्गवास की सूचना मिल ही गई होगी। यह पत्र में भारतीय विद्या भवन के Harvey Road के पते पर फिर भेज रहा हूँ । पूज्य पिताजी के अत्यन्त आदरणीय सहयोगियों एवं मित्रों मे आपका स्थान है अतः साहित्यिक एव अन्य प्रकार के परामर्श के लिए पिताजी का स्थान अब ग्रापको ग्रहण करना होगा। यह मैं निःसकोच कह सकता हूँ कि इस जन पर आपकी सदा जैसी अनुकम्पा रही है, वह भविष्य में भी बनी रहेगी। आपकी ओर से इस कार्ड की पहुँच पाने पर मैं आपको afree लिखूँगा । मेरे योग्य कार्य सेवा सदैव सूचित करते रहे ।
विनीत रामेश्वर गौरीशंकर श्रोभा