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मेरे दिवंगत मित्रो के कुछ पत्र
में प्रकाशित हो सकी। उसीके साथ प्रेस मे छपने के लिये भेजे गये प्रस्तुत पत्रों का यह छोटा सा भाग अब प्रकाशित हो रहा है। इसमें कुल ग्यारह दिवंगत मित्रों के पत्रो का संकलन हुआ है।
जिन व्यक्तियो के ये पत्र है, वे सभी अपने अपने कार्य क्षेत्र के विशिष्ट व्यक्ति थे। इन सब मित्रो की मधुर स्मृतियाँ मेरे जीवन में बहुत आल्हादक रही हैं।
इच्छा तो रहती है इन सबका थोड़ा-थोड़ा परिचय दिया जाय परन्तु यह कार्य कुछ समय और श्रमसाध्य होने से मैं अपनी इस इच्छा को पूर्ण करने में असमर्थ हूँ।
कुछ थोडे थोड़े शब्दो मे ही इन दिवंगत मित्रों का उल्लेख कर देना चाहता हूं।
प्रस्तुत सग्रह मे कुल ग्यारह व्यक्तियों के पत्रो का सकलन है ।
१-इनमे प्रथम स्थान कलकत्ता निवासी स्व० श्री राजकुमार सिंहजी के पत्रो का है। इनके विपय में थोड़ा सा परिचय पत्रों के प्रारभ में ही दे दिया गया है। किस सबन्ध में इनके साथ यह पत्र व्यवहार हुआ था जिसका परिचय पत्रो के पढने पर ठीक मिल सकेगा।
पना में मैंने "भाडारकर प्राच्य विद्या संशोधन मन्दिर" (भाडारकर श्रोरियन्टल रीसर्च इन्स्टीट्य ट ) का प्रारम्भ करने में कुछ विशेष सहयोग प्रदान किया था। उसमे स्वर्गीय वाबू श्री राजकुमारसिंहजी का विशेप योग मिला था।
२-पत्र संग्रह में दूसरा स्थान स्वर्गस्थ देवेन्द्रकुमार जैन के पत्रो का है। ये यो दिगम्बर जैन सम्प्रदाय के अनुयायी थे। लेकिन जैन इतिहास और साहित्य को समन रूप में प्रकाशित देखने की बड़ी उत्कठा और अभिरुचि रखते थे। ये बड़े उत्साही और भावनाशील