________________
८२
मेरे दिवंगत मित्रो के पत्र
पास बैठ कर तैयार करने की इच्छा है। इधर वहां के लेखों के rubbings भी बहुत से संग्रह हुए है। आपको भी कुछ नया मसाला नजर पडे तो उनके नोट्स अवश्य रखते जाएंगे। ___ अभी तो गर्मी की छुट्टी चल रही होगी। आप कहां है हमें निश्चय नहीं रहने से अहमदाबाद के ही ठिकाने पत्र भेजते है। आगामी दो तीन मास का आपका Programme मुझे सूचित करे तो वडी कृपा होगी । ज्यादा शुभ सं० १९८४ मि० ज्येष्ठ सु० ११
निवेदक द. पूरणचन्द की वन्दना (२८)
P. C. Nahar M. A. D.L.
Vakil High Court Phone Cal 2551
48, Indian Mirror Street
Calcutta 11-8-1927
परम श्रद्धेय श्रीमान आचार्य महाराज मुनि जिन विजय जी की पवित्र सेवा मे लि० पूरणचन्द नाहर का सविनय वन्दना अवधारिएगा। यहाँ श्री जिनधर्म के प्रसाद से कुशल है। महाराज के शरीर सम्बन्धी सुखसाता सदा चाहते है। ___ आगे आपकी सेवा मे मैंने पत्र दिया था। अवश्य ही पहुँचा होगा। परन्तु दुर्भाग्यवश अाज तक उत्तर से वचित हूँ । अस्तु, __ 'लेख संग्रह का दूसरा भाग सम्पूर्ण हुआ है और उसे प्रकाशित किया है । आपकी सेवा मे आज दिन एक कॉपी भेजते है आशा है जहां तक शीघ्र हो सके इसको आद्योपान्त देखकर आपकी विचारशील और वहुमूल्य सम्मति भेज कर मुझे उत्साहित कीजिएगा।
आगे दिगम्बरी लोगो ने जो पावापुरी में केस किया है, उसकी ब्रीफ भी आपकी सेवा मे भेजते है। अवकाश पर इस ओर भी कुछ ध्यान दीजिएगा।