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- खतरो से बच-बच कर चलने वाला व्यक्ति कभी-उन्नति कर सकेगा, इसमे सन्देह है । उन्नति करने के लिए खतरो से खेलना सीखिए । खतरे आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं। हर नए और बडे कदम के लिए खतरे का बोझ तो सिर पर उठाना ही पडता है। खतरे के डर से घर मे दुबक कर बैठे रहने पर भी खतरा मुण्डेरो पर चढकर सिर पर ,बोलने लगता है । इसलिए सकट और सफलता का सही मूल्याकन कर लेते के बाद हिचकिचाने से खदक मे गिर जाने का भय बना रहता है। जबकि साहसी व्यक्ति एक ही छलाग मे खाई को पार कर जाते हैं । खतरो से खेलना जीवन मे साहस का सचार करता है । साहसी व्यक्ति के अन्दर ही अभय एव अकम्प की भावना पैदा होती है । अभय का साधक व्यक्ति अपने लक्ष्य बिन्दु को बडी ही शीघ्रता से प्राप्त कर लेता है । खतरो एव तूफानो से भयभीत होने की आवश्यकता. नही । उनको नियन्त्रण मे लेना सीखिए। वीर बनिए, महावीर बनिए ।
चिन्तन-कण | ५३,