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0 पाप करके भी कुछ लोग सुख और चैन से रहते हैं, जब कि सच्चे एव सदाचारी व्यक्ति दुखी और परेशान रहते हैं, ऐसा क्यो? यह एक ज्वलन्त प्रश्न है । इस का उत्तर यो है
सुख दो प्रकार के होते हैं--भौतिक और मानसिक । पापी व्यक्ति को कभी भी मानसिक यानि आन्तरिक शान्ति नही मिल सकती जब कि सच्चा और सदाचारी व्यक्ति भौतिक कष्ट सह कर भी आन्तरिक शान्ति का अनुभव करता है। उसके अन्तर मे एक अलौकिक सन्तुष्टि का प्रकाश अठखेलियां करता है। ऐसा व्यक्ति वाह्य दृष्टि से सुखी न दीखने पर भी आन्तरिक दृष्टि से सुखसम्पन्न होता है।
चिन्तन-कण | ४३