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साहस मनुष्य को जीवन के क्षेत्र मे आगे बढने की प्रेरणा देता है। उसमे नव चेतना का सचार करता है । एक नव कर्तव्य-स्फूति जागृत करता है । साहस के अभाव मे मनुष्य एक कदम भी आगे नही बढ सकता। भय की भावनाएँ भूत वन कर उसको घेरे रहेगी। परिणाम स्वरूप वह इस ओर से कुण्ठित
और पगु वनकर रह जाएगा। साहस अपने स्वय मे एक सुनिश्चित एव महान विजय है। नब्बे प्रतिशत काम साहस स्वय कर लेता है, बाकी के लिए व्यक्ति के पराक्रम की दरकार रहती है । वडे-बड़े दुसाध्यकार्य इस साहस के वल पर मानव आज तक कर पाया है। जितने भी विश्व भर में आश्चर्यजनक कारनामे हैं सव साहस की देन हैं । साहस के आधार पर बडे-बड़े परिवर्तन विश्व मे आए हैं और आ रहे हैं । ऐवरेस्ट की बुलन्दी पर मानव के चरण चिह्नो का अकित होना, इस साहस के ही कारण सभव हो पाया है । साहसी व्यक्ति के शब्द कोष मे असम्भव शब्द के लिए स्थान ही नहीं होता। वह इस असम्भव से परिचित ही नहीं होता । इसलिए साहसी वनिए । क्या व्यावहारिक, क्या मामाजिक, क्या आध्यात्मिक क्या राष्ट्रीय एव क्या राजनीतिक ? सभी क्षेत्रो मे साहस की आवश्यकता है। सफलता हमेशा साहसी व्यक्ति के ही चरण चूमा करती है।
२८ चिन्तन-कग