________________
योग एक आध्यात्मिक कला है, जिससे विज्ञान-शक्ति
मन, बुद्धि, प्राण और भौतिक शरीर मे अधिमानस के रास्ते उतर सकती है । इसलिए यह योग मनुष्य के पार्थिव जीवन को ऊपर उठाने वाली दिव्य इच्छा शक्ति का नीचे उतर आना ही है । अध्यात्म जीवन से अभिप्राय है— जीवन को ऐसा सुन्दर और परमदर्शनीय बना देना कि जिससे अग अग मे निर्मलता और पवित्रता झलकने लगे, दिव्यना जिसकी शुभ्र ज्योति का प्रतिबिम्ब ले, जीवन का कण-कण जिसके आनन्द से भरपूर हो, और प्रफुल्लता से भर उठे । जीवन को ऐसा बनाना कि वह भगवान की प्रतिमा ही प्रतीत हो । यही आध्यात्मिक जीवन है, यही दिव्य जीवन हे और यही मानव शरीर का आदर्श एव लक्ष्य है ।
चिन्तन-कण | 29