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मुंहता नैणसीरी ख्यात
भाग ३ वात राव रिणमलजी अर महमंदारै] आपसमें लड़ाई
हुई तै ससैरी महमद मांडवरो पातस्याह ।
महिपो पमार पहीरा डूंगरसू नीसरियो सु माडवरै पातसाहरै पूठ आयो । ताहरां रांणो कुभो माडवरै पातसाह ऊपर आयो। तद रिणमलजी पण हुतो। सु पातसाह महिपैनू राख अर हद ऊपर सांम्हां आयो । लडाई हुई पातसाहसू । सु पातसाह तो हाथी असवार, ऊपरा लोहरै कोठेमें हुतो। सु साथ तो सारो ही काम आयो। नाहरा रिणमलजी जांणियो-बरछी सिलारैसू काढि मनमें प्राणी ज्यु हाथी ऊपर जाऊ । सु पातसाह माहै बैठे रिणमलजीरो छोह जांणियो-'जुईयैरी बरछी आगै कोठो वचणरो नही। प्रो संको राख पातसाह खवासरी ठोड बैठो नै खवासनू आगै बैसाणियो।' तितरै तो रिणमलजी आय बरछीरी दीवी कोठेरै । कोठो फोड़ खवासनूं मारियो ।' ताहरां खवास कह्यो-'हजरत ! मैं तो मरा।' ताहरा उण वैण रिणमलजी सुणियो । ताहरां रिणमलजी जाणियोपातसाह वचियो।10 रिणमलजी पूठा फिर देखे तो हाथीरी पाछली,
___ I महिपा पंवार पहीके पहाडसे निकला सो माडवके बादशाहकी शरणमे आया। . 2 तव राणा कुभा माडवके बादशाहके ऊपर चढ कर पाया। 3 तब रिणमलजी भी साथमे - थे। 4 वादशाहने महिपेको तो पीछे रख दिया और खुद सीमा ऊपर सामने आया ।
5 सो बादशाह तो हाथी पर सवार, परन्तु उसके ऊपर एक लोहेका कोठा था, उसमे बैठा
हुया था। 6 एक वरछीको शस्त्रागारसे (?) निकाल कर सोचा कि हाथी पर आक्रमण , कर दूं। 7 सो बादशाहने अदर बैठे हुए रिणमलजीके क्रोधावेशको भाप लिया कि
. इसकी वरछीके प्रहारसे कोठा बचनेका नहीं। 8 सो यह भय मान बादशाह तो खवासको ___“जगह बैठ गया और खवासको आगे बैठा दिया। 9 कोठा फोड कर खवासको मार दिया। - 10 तब रिणमलजीने उसके शब्द सुने और जाना कि बादशाह बच गया।