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मुँहता नैणसीरी ख्यात
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दायजो देने विदा करां ।" ताहरा पाबूजी कह्यो जु - 'म्हांनू सुगन लाचा हुआ है । " तेसू म्हे रातोरात घरा जावस्यां । पाछा मासेकनू श्रावस्था । भगत दायजो जदो करज्यो ।" ताहरां सोढा कही 'मरजी
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ताहरां सोढी कह्यो - 'हूं
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रावळी, चढो ।" ताहरां पाबूजी चढिया । पण न रहू, साथै हालीस ।" ताहरा सोढी पण वैहल वेसने साथै हुवा, सु पाबूजी रातोरात हलाणो लेने कोळू प्राया । ग्रठे हरख बधाई हुई | पाबूजी सोढी जाय महल माहे पोढिया छे ।" आप₹10 घरै गयो ।
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डांवो
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ताहरा जीदराव खीची ग्रायो हुतो " सु पाबूजी वूडैजी जीदरावनू सीख दीवी । 22 ताहरां जीदराव मारगमे जावता काछेलां चारणारी वित्त लियो । 13 ताहरा गोहरी " आय पुकारियो । को'जी । खीची जीदराव धण चरतो हतो, तठेसू" सर्व लियां जावै छे ।' ताहरां बिरवड़ी चारण श्रायने बुडै आगे कूकी । " कह्यो'बूडा ! वाहर धाय'", खीची गाया घेरियां जाय छै ।' ताहरां वृड़ैजी कही- 'बाई | म्हारी आख दूखै छै । ग्राज तो चढियो ना जाय ।
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ताहरा चारण कूकती - कूकती
पाबूजीरे महल आई । आयनै चादेनू कही - 'चांदा | पाबूजी नही, अर खीची म्हारो धण सर्व लियो, सो तू चढ ।”° ताहरा चांदै कही 'हे । कूक ना"" पाबूजी पधारिया छै ।'' इतरै पाबूजी पण झरोखे कर दीठो । " कह्यो - ' कासू छे ? '24
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I सो दहेज देकरके विदा करें । हम रातो-रात घरको चले जायेंगे । ( वडा भोज) और दहेज उस समय 7 मैं भी नही रहू, साथमे चलूगी । रातो-रात हलाएगा ( सोढी ) को साथ II श्राया था । 12 विदा किया चारणोंके गो-समूह को घेर लिया । वहासे । 17 तव चारणी विरवडीने आकर बूडेसे पुकार की
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( पीछा कर ) । 19 आज तो वाहर नही चढा जाता । चढ | 21 श्ररी । शोर मत मचा । 22 पाबूजी आ ने भी झरोखेमे हो करके देखा । 24 क्या है ?
20 सो तू गये है ।
2 हमको शकुन अच्छे नही हुए है । 3 इसलिये 4 मास एकके लगभग फिर आयेंगे । 5 भगत देना । 6 तव सोढोने कहा - मर्जी श्रापकी, पधारो । 8 सोढी भी बहलीमे बैठ कर साथमे हो गई, पाबूजी लेकर कोलू श्राये । 9 सो गये है । IO अपने । | 13 तब जीदरावने मार्गमे जाते हुए काछेला 14 गाये चराने वाला
IS गो-समूह | 16
18 वाहरको दौड उसके पीछे वाहरको 23 इतनेमे पाबूजी
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