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________________ ७४ ] मुहता नैणसीरी ख्यात 3 4 5 आईस ।" ताहरां गोगंजी कही - 'थे वडेरा छो", छोटा तोई सुसरा छो, पग वडा छो, थे बैसो, हू ले ग्राईस ।' ताहरा पावूजी कही - 'ग्रा तो साची, पण थे बूढा छो, र म्हे मोटियार छा" ताहरां पाबूजी घोडारी खबर करण गया । श्रागे जाय देखे तो कासू ? नाग २ र्छ, तिके तो सेखड़ हुआ घोड़ा चारै छै । श्रर दोय नागांरा घोडांरं पगे दावणा छै ।' ताहरां पाबूजी देखने विचारी जु-'ग्रा म्हने गोगोजीकरामात देखाळी छे ।' ताहरा पाबूजी पाछा आया । श्रायने गोगेजी नू कही - 'राज ! घोडा तो दीसे नही । कठीने नीसर गया । म्हन तो मिळिया नही | 20 6 12 3 ताहरां पावूजी तो जाय जाजम बैठा ने गोगोजी हाथमें बरछी लेनै घोडांरी खबर करण गया। आगे देखे तो कासू ? पाणीरो वडो हवद भरियो छै । 11 तैरं मांहे " एक नाव छे, ते नावमें घोड़ा दोन तिरै छै । हवद ऊंडो बोहत । 14 गोगोजी विचारी जु-प्रा म्हन पाबू करामात दिखाळी छै । आ जाणने 25 गोगोजी पाछा पावूजी पास आया । ताहरा पावूजी कही - 'राज ! घोडो लाधा ताहां गोगोजी कह्यो - 'राज ! म्हारै मनमे सदेह हुतो, सु हमै मिटियो । " म्है लाधा था 1218 15 7116 ताहरा पाबूजी गोगोजी भेळा हुयनै घोडांनू गया । आगे देखे तो कासू १ ऊभा छूटा चरै छे ।" तद घोडा लेय लगामा देने असवार हुयनं गोगोजीरी कोटडी आया । पछे पाबूजीनू भगत जीमायनै विदा दीवी | 20 मैं ले आऊगा । 2 तुम वडेरे हो । 3 छोटे हो तो भी ससुरे हो, पदमे बडे हो, 9 कही निकल गये । तुम बैठो । 4 यह तो सच है, परंतु तुम वृद्ध हो और मैं जवान हू । 5 वे तो साथ खडे हुए (फनोको उठाए हुए ?) घोडे चरा रहे हैं । 6 और दो सर्पोंकी घोड़ोके पावोंगे रज्जु (दामर) बँधी है । 7 दिखाई है । 8 दिखाई नही देते । 10 मुझे तो मिले नही । II पानीका वडा होज भरा हुआ है । उस 1 14 हौज वहुत गहरा । 15 यह जान कर 1 16 घोडे मिल गये ? 17 सो अब मिटा । 18 मैंने आपको अब पहिचाना | 19 छूटे खड े हुए चर रहे है । पावूजीको भोजन करवा कर रवाना किया | 12 जिसमे । I3 20 फिर
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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