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मुहता नेणमीरी ख्यात लीवी। आपा घोडा मारिया ही पोहचां नहीं।' पाछा फिरो।' जे प्रानो वाघेलो मारियो छ सु थांसू' मर नही । सु राज ! थे पछै सर्व साथ भेळो करने जावज्यो। ताहरां मिरजे इतरी" कहो, ताहरा दोदो तो पाछो फिरियौ सु प्रापरै' ठिकाणे पायो।
पर पाबूजी साढिया लेने सोढारै उमरकोट माहै कर नीसरिया ताहरां कोटरै हेढ़ कर वूया, ताहरां सोढी झरोखा माहै बैठी हुती, सु पाबूजीनू दीठा' । तद सोढी मानू कहाई-'जु पछै ही म्हनं परणावस्यो, पाबूजी राठोड जावै, परणावो । ताहरा ईये सोलै सिरदारनू कहियो ।” ताहरां सोढे वासै अादमी मेलियो, नै पावूजीने कहियो-'राज ! म्हारै परणीजने पधारो । ताहरा पाबूजो कही-राज ! आज तो साढिया लिया जावां छा । पाछै आय परणीजस्या ।' ताहरा सोढां आदमियां साथै नारेळ मेलियो छ । ताहरा आदमियां पावूजीरै टीको कर नारेळ पाबूजीरै हाथ देनै सगाई कर पाछा फिरिया ।
पाबूजी आघा पधारिया सो ददरैरै पाया ।" आगे गोगाजी विराजिया, ताहरा सदा वाईसू केलण हसतो-'जु काको दोदरी साढिया कद प्राण देसी ?'19 इतरै हरियो आयो । प्रायन कही-'भीतर बाईसू मालम करावो, जु पाबूजी पधारिया छै। दोदरी साढियां रा वरग तनै सकळपाया हुता मुलायो छ । संभाळ लेवो । ताहरां गोगाजी बाहिर आयनै पाबूजीसू मिळिया । ताहरा साढिया सरव सभाळ भतीजीनू दीवी छ । अर कह्यो-'एकै बाडै ऊठ विना सरब वरग
1 अपन घोडोको पीछे देकर भी पहुच नही सकेंगे। 2 वापिस लौट जायो। 3 जिसने। 4 तुमारेसे। 5 इकट्ठा करके। 6 इतनी। 7 अपने। 8 और पावजी साढनियोको लेकरके सोढोके उमरकोट नगरके अदर होकर निकले। 9 जव कोटके नीचे होकर चले तव सोढी झरोखेमे बैठी हुई थी, सो उसने पावूजीको देखा। 10 तब सोढीने अपनी माको कहलवाया कि पीछे भी मेरा विवाह करोगे, पावूजी राठौड जा रहे है, अभी व्याह दो। II तव इसने सोढे सरदारको कहा। 12 पीछे। 13 भेजा। I मेरे यहाँ व्याह करके पधारें। 15 आज तो साढनिया लिये जा रहे है। 16 देकरके। 17 पावजी पागे पधार कर ददरेरे (ददरेवे) आये। 18 बैठे हैं। 19 काका दोदेकी सानिया कब ला देगा? 20 कि पाबूजी आये है। 21 दोदेकी साढनियोंके वर्ग कन्यादानके ममय तुम्हें लाकर देनेके लिए संकल्प किया था सो ले आये हैं।