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मुंहता नैणसीरी ख्यात
[ ६७ ऊभौ छै । इतरै धायजी डोड-गेहलीनं जाय कही-'राज थांन पाबूजी बोलावै । कहै छै जु-'म्हारै नवो माळियौ करायौ छै सु थां पधारनै देखो।
ताहरां डोड-गेहली वैहल बैसनै पाबूजीरो मोहल देखणनूं आई। प्रागै पाबूजी बैठा हुता सु ऊठ मुजरो कियो । कह्यो-'भाभीजी ! राज ! झरोखे नीचे तमासौ छै सु देखीजै । ताहरां आ झरोखे माहै देखण लागी, ताहरा थोरियां डोडानै चुहटिया तोडिया; ताहरां
रोवण लागा। ताहरां डोड-गेहली देखै तो कासू ? " भाई नीचे बाधौ __'छै अर रोवै छै । ताहरां डोड-गेहली कह्यौ-'पाबूजी ! ओ कास सूल
छै ?' म्है तो था हसती वात कही हती। ताहरां पाबूजी कह्यो'भाभीजी ! हूं पण हसतो ले आयो छू ।' पण रजपूतांनू वैण बोलीजें नही । मैहणा कपूतांनूं कहीजै ।1 ताहरां डोड-गेहली कह्यौ-'भली कीवी । हमै तो छोडो । ताहरां पाबूजी डोड भोजाईरै कहै छोड़िया ।
पछै डोड-गेहली आपरा भायांनू ले जाय दिन ४ राखनै घरांनू सीख दीवी ।
तठा पछै हरियै सांढियारी हेरप जोयनै आय पाबूजीन कही16'राज | दोदरी साढिया पारै हाथ आवणरी नही । " दोदो जोरावर छै। दोदैरो राज वडो। अर वीचमें पंच नद वहै छै ।18 प्रो अोढो
1 तव चादा डोडोको ऐसी दशामे लाकर पाबूजीके झरोखेके नीचे खडा है। 2 तब डोड-गेहली वहलीमे बैठ करके पाबूजीका महल देखनेको पाई। 3 झरोखेके नीचे तमाशा है सो देखिये। 4 तव थोरियो ने डोडो को चिहु टियोसे तोडा, तब वे रोने लगे। 5 यह क्या ? 6 भाई नीचे बँधा हुआ है और रो रहा है। 7 पाबूजी । यह क्या कोई ढग की बात है ? 8 मैंने तो तुमको हँसीमे बात कही थी। 9 में भी इन्हे हँसता-हँसता ही ले आया हूँ। 10 परन्तु राजपूतोको व्यग्य वचन नही बोलना चाहिये। II ताने कुपूतोको मारे जाते है। 12 अच्छा किया ? 13 अब तो छोड दो। 14 अपने। 15 विदा किया। 16 जिसके बाद हरियेने साढनियोकी खोज-भाल करके पावूजीको कहा। 17 दोदेकी साढनिया अपने हाथ आनेकी नही। 18 और बीच मे पचनद बहती है।