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________________ ५६ ] मुहता नैणसीरी ख्यात पछै समत १५९३ जेष्ट मास माहै मुगल ग्रहमदावाद ग्राया । आसोज वद १४ बाहदर पातस्याह नाठी, दीव गयौ ।' आगे वाहदर पातस्याह उमराव २ वसाया हुता - हिंदु खाट माडण वरसौ पाटणरा भूमिया छमीछाना धणी, तियानूं । गांव १२ माडणनू दिया था । गाव १२ बारै वरसैनू दिया था । तिका, बीजां भूमिया, हिंदु, तुरक भेळा होयनै मुगल मार काढिया । नै पादस्यानू दीव माहै फिरगीए मार खाडी समुद्ररी माहै नाख दियो ।' संमत १५६३ फागण सुदे ५ बादर मारियो । 3 4 6 पछै अमरावा मिळ महमंद बेगडी पाट वैसा रियो, ग्रहमदाबादमे पातस्याह कियौ । ' 8 10 पातसाह महमद वडो धरमात्मा हुवौ । यो ग्रोखदांरी हाट ४ मडावी, वैद्य राखिया । वेमारानू दारू धरमरो दीजै ।" रोगियानू खावान् दीजै, प्रोढण- विछावण दीजै ।" वैद्य नाड जोवै, प्रोखद देव गरीवनं । सिरदार दावैसू फकीरानू रजाया, बिहाल्या दीजै ।" जिकू ग्राप जीमती तिसड़ौ खाणी फकीरानू दीजै ।" इसो धर्मात्मा पात - स्याह हुवी । 13 11 12 समत् १६१० फागण वदे १३ वार गुरु रात पोहर १ गया पात श्रामोज वदी १४को वादशाह वहादुर भाग कर दीव वदरको चला गया । 2 पहले वादशाह बहादुरने छमीछाके स्वामी पाटनके दो खाट जातिके हिंदू भोमिये माडण और दरमाको उमराव बना कर बसाया था । 3 वारह गाव माडरणको और बारह गाव वरसाको दिये थे । । उन्होने दूसरे भोमिये, हिंदू और तुर्कोंने मिल कर मुगलोंको मार निकाल दिया | 5 फिरगियो (पुर्तगालियो ) ने बादशाह बहादुरको मार करके दीव वदर की ममुद्रकी खाडीमे डाल दिया । 6 सम्वत् १५६३ की फागुन सुदी ५को वादशाह बहादुरको मारा। 7 फिर उमरावोने मिल कर मुहम्मद वेगडेको सिंहासन पर बिठाकर श्रमदावादका बादशाह बनाया । 8 इसने श्रीपधियोकी चार दुकानें खुलवा कर उनमे वैद्यको नियत किया । 9 बीमारोको श्रीपधिया मुफ्त मे दी जाती हैं । 10 रोगियोको खाना और प्रोढना - विछोना दिये जाने है । 11 सरदारोकी भांति ही फको रोको भी रजाई विछोने दिये जाते है । 12 जैसा स्वय भोजन करता वैसा ही फकीरोको दिया जाता है । 13 'ऐसा धर्मात्मा दिशाह हुआ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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