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________________ मुहता नैणसीरो ख्यात [ ५३ राजा धीरधवळ* पाटण लियो। वर्ष ४५ मास ३ दिन १ राज्य कियो। तेहिनै' पाट वीसळदे हुवो। वर्ष २५ मास ४ दिन ३ राज कियो। तेहन पाट गैहलू कर्ण ।' राजा कर्ण माधव बांभण नागर तियरी पुत्री घर माहै घाती।' तिको जायनै पातस्याह अलावदीन आगे पुकारियो । पातसाही फोजा लायो। पछै गुजरात तुरकै लियो। पछै तुरकाणी राज हुवो। हिदवांणो मिटियो ।' पातस्याह अलावदीन अमराव ४ गुजरात माहै राखिया । १ मदफ्फरखांन, २ ततारखांन, ३ अहमदखांन, ४ महमदखांन । अहमदखान अहमदाबाद वसायो। पैहला आसै भीलरी प्रासलवासी हुती, तठे अहमंदावाद वसायौ ।' ___पछै पातसाह अलावदीन बेटो कुतबदीन, तिकैनू अहमदावाद दियो। सतर खांन बोहतर उमराव साथै दिया ।' सुरताण कुतबदीन भंद्र मंडाया । राज बैसी इयां मस्तक २१ छत्र धारिया। तिहां मदन-भेर वजावी। तिवारा पछै बीजा वाजा वजाया । ढिलीसू लक्ष्मीनी मूरत प्रांणी।14 ते भद्र माहि लाख टका खरचनै लक्ष्मी मूरत बैसारी । ते आगळ पहलो नांणो कुतबस्याही करायो। इसो नाणो (कोई न) नीपजायो । तिवारै पछै गुजरात बीजो नाणो प्रवर्तायो । पछै जलाला आद देने नांणा प्रवर्तिया 17 *वीरधवल और धारधवल नाम भी लिखे मिलते है । I उसके, जिसके। 2 जिसके पाट गहला-कर्ण बैठा। 3 राजा कर्णने नागर ब्राह्मण माधवकी पुत्रीको घरमे डाल दिया। 4 उसने बादशाह अलाउद्दीनसे पुकार की। 5 वादशाही सेनाको चढा लाया। 6 पीछे गुजरात तुर्कोन ले लिया। हिंदुआना राज्य मिट गया और तर्कानी राज्य हो गया। 7 अहमदखानने, जहां पहले पासा भीलका श्रासलवासी गांव था, उस स्थान पर अहमदावाद वसाया। 8 जिसको। 9 सत्तर खान और बहत्तर उमराव भी साथमे दिये। 10 सुल्तान कुतबउद्दीनने दुर्गा देवीके मागलिक भद्रा कृतियोका निर्माण करवाया। II इस प्रकार सिंहासनासीन होने पर उसने २१ छत्रोको धारण किया। 12 फिर वहा उसने विख्यात कल्याणप्रद मदन-भेरी नामक वाद्य बजवाया। 13 उसके बाद दूसरे वाद्य बजवाये गये। 14/15 दिल्लीसे लक्ष्मीकी मूर्तिको लाया और लाख टके खर्च करके भद्र मे स्थापित की। 16 उसने सबसे पहले कुतुबशाही रुपया प्रवर्त किया। इसके पहले ऐसा सिक्का किसीने नही चलाया। 17 जिसके बाद जलालशाही आदि दूसरे सिक्के गुजरातमें प्रवर्त हुए।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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