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________________ ४४ ] मुंहता नैणसीरी ख्यात हुता, रोटा जीमिया।' जीम'र कह्यो-'चालो पाछा जावां ।' ताहरां खेतसीह कह्यो-'वाह, वाह । भावे थे परणाय ले जावो, भाव थे कवारो ले जावो ।' चढि खडिया । पाछली थापो।। ताहरा कह्यो-'भानाजी । प्रो त्रैराकी तो द्यो, कोस २ चढां। रावतजी कह्यो-'था तोरणरी वेळा चढण देज्यौ , सु तोरण ही रह्यो। ताहरा भांनो घोडो देण मे न हुती, पण साथ सारो ही कहै-'घोडो द्यो ।" ताहरा भानै घोडो दियो। खेतसीह घोड़े चढियो। ताहरां भांनै दोय जलेवदारानै कह्यो-'घोडैरी वाग झालो।" ताहरां 4 गावरी बावडी कनै आया। ताहरा खेतसीह बोलियो-'हो गाना | अ नैरां कहै छ, जु शो वीद रोवतो जावै छै; सु थे म्हानू काय भांडौ ।' इतरै माहै जलेबदारा वाग छोड़ी। ताहरां दोय तीन गज्यदा नखाय1 घोड़ेन, मूछा हाथ फेरनै कह्यो-'इसडो कुण छ मा-जायो, सु म्हारी माग परणीजसी ?12 यु कहै बापडां पाछा खडिया ।" ताहरा भांने कह्यो सगळे ही साथनू 4 -'ज्यो थे पाछा पधारो, हू खेतसीहनूं मनाय ले अावू छू ।' ताहरां भांनै आपडियो वासांसू खेतसीहनू । वतळायो, खेतसीह बोले नही । ताहरां खेतसीहनू कह्यो-'तूं तो पाछौ नी घिरै, पण मोनूं मुवैही सरत ।' तो कहियो-'हवे !'17 ताहरां कह्यो-'आवा मिळा ।' ताहरा मिळिया। . I रोटा (एक भोजन) हो गये थे अतः रोटे खा लिये। 2 चाहे विवाह करके ले जानो चाहे कवारा ही ले जायो। 3 लौटनेका निश्चय किया। 4 यह ऐराकी घोडा तो दे दें, दो कोम तो इस पर चढ लू । 5 रावतजीने कहा था कि तुम इसे तोरन-वदनके समय चढने को देना, सो तोरन-वदनकी वात तो अब नहीं रही। 6 तव भानाकी मर्जी घोडा देनेकी नहीं थी, लेकिन सभी साथ वाले कहते है कि घोडा दे दो। 7 घोडे की बाग पकड़े रहो। 8 तव उस गावकी वावलीके पास आये। 9 ये औरतें कहती है कि यह दूल्हा तो रोता हुआ जा रहा है सो तुम मुझे क्यो वदनाम करवा रहे हो। 10 इतनेमे जलेवदारोने लगाम छोड दी। 11 कुदवा कर । छलागें भरवा कर। 12 ऐसा कौन अपनी माताका वीर पुत्र है सो मेरी मगेतरको व्याह लेगा ? 13 यो कह कर तेज दौड़ा कर लौट चले (पापडाघोडे कट प्रादिकी तेज दौड) 14 तव भानाने सभी साथ वालोको कहा। तब पीछेमे तेज चल कर भाना खेतसिंहको पहुंच गया। 16 परतु मुझेतो मरना ही - पडेगा। 17 हा।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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