________________
२४ ]
मुहता नैणसीरी ख्यात तोडैजीनू हुतो।' झगड़ो हुवो पातसाहसू तद तीडोजी काम आया। सलखोजी पकडीजिया। फोज परी गई। पछै राव कान्हडदेजी टीकै वैठा । वीजां राठोड़ा सलखैजीरो घणो ही कह्यो, पण इलाज कोई हुवो नही । ताहरां प्रोहित वाहड़, विजड़ औ दोनू भाईया विचार कियो। और तो किही भांत जाय सगीजै नहीं। तद कोया हुय जोगी हुवा। मुद्रा घाती।' गुजरात गया। अ प्रोहित दीदारू सखरा पण ।' अर वीण आछी वजावै । तद सहर माहै वखाण हुवो,-10'जु जोगी पण भला, वीण पाछी वजावै ।' तद पातसाहजी ताई मालम हुई।"पातसाहजी बोलाया। तद पातसाहरी हजूर गया । इंयां कने विद्या हुती सु दिखाई। पातसाह रीझियो। तद पातसाह कह्यो'मांगो ।' तद इंया हाथ जोड अरज कीवी-'जु म्हारो भोमियो कैद माहै
छ सु पावा।14 तद पातसाहुजी कह्यो-'कोणसो है ? 15 इयां कह्यो'महेवैरो सलखै नामै छै ।15 तद पातसाहजी कह्यो-'छोड द्यौ।' तद सलखैनू छुडायनै महेवै लाया। कान्हडदेजी पटो दियो ।” उमरा कियो ।18 त कान्हडदेजीरै त्रिभुवणसी हुवो । अर त्रिभुवणसीरै ऊदो हुवो । तैसों (ऊदावत) राठोड हुवा ।
॥ वात राव तोडेजीरी सपूर्ण ॥
शुभ भवतु
1 तव मेहवा तीडेजीके अधिकारमे था। 2 फौज चली गई। 3 दूसरे राठोडोने सलखाजीको टीका देनेके सवघमे वहुत कहा, परतु कोई उपाय काम नही आया। 4 तव पुरोहित वाहट और विजड, इन दोनो भाईयोने विचार किया। 5 और तो किसी भी प्रकार (सललेको वापित्त लानेके लिये) जाना नही हो सकता। 6 तव हैरान होकर ये दोनो भाई जोगी हो गये। 7 कानोमे मुद्रायें डाल दी। 8 ये पुरोहित दोनो भाई रग-रूपमे दीदार वाले थे। 9 और वीणा अच्छी वजाते है। 10 तव शहरमे प्रशसा हुई। 11 तव बादलायो भी खबर लगी। 12 इनके पास जो कला थी मो वहा दिखलाई। 13 वादमाह प्रमान हुना। 14 हमारा भोमिया-मरदार आपकी कैदमे है । सो हमे मिल जाय । पर मौनमा है? 16 उन्होने कहा-'मेहदेवा निवासी और सलखा उसका नाम है।' 1 माहलजीने जागीर दी। 18 अपने दरवारका उमराव बनाया। 19 जिसमे ऊदावत राठासीमावा चली।