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________________ २८८ ] मुहता नैणसोरी ख्यात वीसळदेजीरा असवार उलै पार खडा रह्या ।' आ खवर राजानू आई-'जु मूळ साबतो गयो । ताहरां राजा फुरमायो-'म्हारा घोड़ासूं मूळूरो घोड़ो आगे नीसरियो तो म्हारा घोडारा कान काटो । ताहरा विसोढो दूहो कहै तेजालग तोखार, वाला वीसलदेव के। अपरला असवार, सांके भय सांगावत' ॥३ राजा घोडारा कान वाढता मन किया । ताहरां विसोढेनू कह्यो राजा-'विसोढा ! ते म्हानै कह्यो नही जु मूळू आसी।' ताहरां विसोढे कह्यो-'राज ! यो क्यांकर कही। मूळू म्हनै कह्यो-'जु, तू म्हनै थोड़ा रुपिया मे हारियो। जो म्हारा तो राजा लाख रुपिया देवै, जो हूं निजर पडतो।" ताहरा राजा फेर वाजी माडी । राजा कह्यो-'म्हे हारां तो लाख देवा । अर थे हारो तो म्हांन मूळू पासा कोट माहै मुजरो करावो।10 ताहरा विसोढे कह्यो-'कोट माहै किसी विध आवै ?' तद राजा कह्यो-'आवै तो पावै । नही तो भला । नही पावै ।' ताहरा विसोढो फेर हारियो। ताहरां विसोढो फेर मूळ पास गयो नै मूळून विसोढे कह्यो-'म्हैं तोनू लाख रुपियां माहै हारियो, अर कोट माहै प्रावणो।11 ताहरां मूळू कह्यो-'जु, म्हनै कोटमे श्रावण कुण देवै ?12 अर जे पायो जासी तो तलास घणो ही करीसू ।' ___I मूलका घोडा तो पार हो गया परन्तु वीसलदेजीके सवार तो इस पार खडे रह गये। 2 जब यह खवर राजाको मिली कि मूलू सकुशल निकल गया । 3 हमारे घोडोसे मूलूका घोड़ा आगे निकल गया। 4 हमारे घोडोके कान काट लो। 5 दोहेका भावार्थ विसोटाने कहा-हे वीसलदे | तेरे प्रिय घोडे तो बहुत तेज गति वाले है । किन्तु उनके कपरके सवार सगतावत मूलूके पातकसे डर गये हैं। (इसलिए वे आगे नही वढे ।) 6 तव राजाने घोडोके कान काटते हुयोको मना कर दिया। 7 तूने हमको कहा नही कि मलू पा जायगा। 8 राजन् । यह बात कैसे कही जाय ? 9 में यदि नजरमे आ जाऊ तो राजा तो मेरे लिए लाख रुपए भी शर्त पर लगा दे। 10 यदि तुम हार जानो तो मूलूमे मुझे कोटमे मुजरा कराओ। II तुमारे कोट में आनेकी बात पर लाख रुपयोकी शर्त पर मैंने तुमको हारा है। 12 मुझे कोटमे कौन आने दे ? ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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