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________________ मुहता नैणसीरी ख्यात [२८१ सांभळीज्यो । घोडी नू थटैरै पातसाहरो दरियाई घोडो लागो छ । बीज सभाळ लेज्यो ।'इतरो कहि चालतो रह्यो। घोड़ो दरयाई हुतो सु सांवत चीतोड़ रै' रांगनू लेजायनै निजर कियो। ताहरां राणे सावतसीनू गाम १ सांसण दियो ।' अर उण घोड़ीरै पेटरी वछेरी हुई । नाम बोर हुई, सांगमरावर घरै । न ते चढियां थकां घणो ही गुजरात देसरो उजाड़ कियो।' तिको सांगमराव कुडळ परणियो आचानणनै ।10 अर साळेरो नाम विसनदास । तिकै विसनदास सांगमरावजी पास वोर घोडी मांगी नै कह्यो-'म्हारै भाटियासू वैर छ। घोड़ी ईयै चढनै वैर लेवा ।11 ताहरा सागमरावजी विसनदासनू नीछो दियो ।1 पण आखर घोड़ी विसनदास ले गयो। विसनदास लेजायने घोड़ी बोरनै घोडो दिखायो ।13 वरस १नू व्याई । वछेरो जायो ।14 जवै बाध साबती कर बछेरी बोर विसनदास पाछी मेल्ह दीवी । कह्यो-'जी, घोड़ो थाहरी ल्यो । हाजर छै । वैर नीसरियो नहीं ।16 ___ताहरां सागमरावजी अमल कर घोडी ऊपर चढिया, ताहरा खुरी कीवी ।" घोड़ी हुती सु नही । ताहरा सांगमरावजी विसनदासनू कहायो। कह्यो-'घोड़ी व्याई। कूड कियो ? वेम उरहो I घोडियोमे कोई आदमी हो तो सुन लेना कि घोडीको थट्ट के बादशाहका दरियाई घोडा लगा है। 2 उसके वीज (नस्ल)को सम्हाल लेना। 3 इतना कह कर चलता बना। 4 था। 5 चित्तौड। 6 लेजा कर। 7 तब राणाने सावतसीको एक गाव शासनमे दिया। 8 सागमरावके घर उस घोडीके पेटसे बोर नामकी एक बछेरी उत्पन्न हुई। 9 उस पर चढ कर उसने गुजरात देशका बहुत विगाड़ किया। 10 सागमरावने कुडलमे प्राचानणसे विवाह किया। II इस घोडी पर चढ करके अपने वैरका वदला लू । 12 तव सागमरावजीने मना कर दिया। 13-14 विमनदासने लेजा कर बोरको घोडा दिखा दिया । एक वर्ष वाद व्या गई । बछेरा उत्पन्न हुआ। IS खूव जो खिला कर और पुष्ट बना कर वोरको विसनदासने वापिस भेज दी। 16 तुमारी घोडी लेओ । हाजिर है, वैर तो निकल नही सका है। 17 तब एक दिन अमल-पानी करके (अफीम लेकर के) घोडी पर चढे और उसको फिराया। 18 मालम या कि घोडी जैसी थी वैसी नही है ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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