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________________ २० ] मुहता नैणसीरी ख्यात कान्हैयूँ कह्यो-'छेड़ो मती। अर नागनू देखो। तो सारा उठैसू नीसरिया, पण सरप उवै ही जागां ते भांत बैठी रह्यो।' इयांरी' निजर पडियो इतरै ताई वै होज भांत बैठौ दोठी । तद इया उठसू लीक टोरो।' देखा, कठेसू आयो छै ?" जिकै' लीक गया। सु नाग पुरांण कोटसू अायो । तद नापै कह्यो-'पाखर कोट उठे हुसी, जठै सरप कुडाळो कर बैठौ । ते इतरौ कह्यो- 'कोट पुराण कोटरी जायगा करावो ।' पछ कोट करायो । सहर वसायो। वीकानेर नाम दियो। तद केल्हण भाटीनूं खबर हुई, जु उठ कोट करायो । तद केल्हण सेखैनू कह्यो। तद सेखै कह्यो-'हू तो कोई हालू नही । ताहरां भाटी कळकरण वीकैजी ऊपर साथ कर आयो। तद नापै सांखलै रावजीतू कह्यो-' म्है सवण जोयो छ । प्रांपणो अठै थिरचिक राज छै।18 घणी पीढी ताई थाहरै पूतारै रहसी।4 प्रांपा15 भाटियांसू लडाई करस्यां। आपणी फतै हुसी 116 तद साथ थोडो हीज हुतो, पण लडाई कीवी, घोडा नाखिया।" कलकरणनू मार लियो। सारो ही साथ भागो। राव वीकैजीरी फतै हुई। तठा पछै18 भाटी कोई नही आयो। ॥ इति श्री राव वीकेजीरी वात, बीकानेर वसायो तै समरी सपूर्ण । । ये तो वहासे निकले परतु सर्प उसी जगह उसी प्रकार बैठा रहा। 2 इनकी। 3 इतने समय तक। 4 उसी प्रकार बैठा देखा। 5 तब इन्होने इसकी लीककी तलाश की। 6 देखें, कहांमे आया है ? 7 उस। 8 जहा सर्प कुडली बना कर बैठा है, (सव जगह तलाश करने पर) पाखिर कोट वहां ही बनेगा। 9 तब उसने इतना कहा। 10 मैं तो कोई चलू नहीं। II तब भाटी कलिकरण बीकाजीके ऊपर अपनी सेनाके साथ चढ कर पाया। 12 मैंने शकुन देखा है। 13 अपना राज्य यहा स्थिर रहेगा। 14 बहुतसी पीढियो तक तुम्हारे वराजोका अधिकार रहेगा। 15 अपन। 16 अपनी फतह होगी। 17 उस समय साथमे मनुष्य थोड़े ही थे, परतु घोडो को झोक कर लड़ाई की। 18 जिसके बाद ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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