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________________ मुहता नैणसीरी ख्यात [२६६ ताहां दौलतखांन कहै-'हमीरजी । थे यू करो। दूदैरै कटकमे पचीस अमराव छै अांपांनू मारणवाळा । तिके थे मारो तो दूदो अपूठो जावै। ताहरां हमीर कह्यो-'रे दोला ! सारो हाडोतीरा रजपूत मारणा ? सारी सगा-सैण क्यूकर मारीजै ?'3 ताहरां दोलो कहै'वडा ठाकुर समझ !' ताहरां हमीर कह्यो-'भलां भाई ।'4 ताहरा हमीर दूदैन परधांन मेल्हिया। कह्यो-जी, लाख रुपिया थांन ही दईस । भोजनू पटू हुयनै दरवाया छ, थांनू घररी दईस ।' पण यू करो', पचास हजार तो रोकडा दईस नै पचास हजारमे घोड़ा हाथी देईस ।' ताहरां दूदै कहियो-'वाह, वाह, भला ।' ताहरां परधानां वात थपाडी । ताहरां दूदै कहियो-'जावो, हमीरनू ल्यावो ।' ताहरां हमीररा परधानां कह्यो-'रावळे अमराव पचीस छ, तियारी मोनू बाह हुवै । आज पछै दूदोजी जे वळे हमीरनूं क्यु ही करै तो ईयारी बांह छ । ताहरां दूदै अमरावां साग ही न तेडिनै13 कह्यो-'जावो, हमीरनू बांह द्यो अर हाथी घोड़ा ल्यावो ।' ताहरा अमराव पचीसां चढ अर आया। हमीर आदमी ४०० जीनसालिया कर तयार एकै ठाम राखिया छ । उवांनू पण भेद न दीनो। कहियो- जी, लाख-लाख रुपियारो भरणो छ। कि-जाणां कासू नीवडै ? थे चोकस ऊभा रहिज्यो ।16 जे कोई वात विगड़े तो थे आय अणी भेळिया ।17 आपसमे भाईया ो आलोच कियो हुँतो के म्रग घोड़े ऊपर उपाव करस्यां।18 ____ I दूदेके कटकमे अपनेको मारने वाले पच्चीस उमराव है। 2 उनको तुम मार दो तो दूदा वापिस लौट जाये। 3 अरे दौला | समस्त हाडोतीके राजपूतोको मारना ? सभी सवा और सज्जनोको कैसे मारा जाय? 4 अच्छी बात है भाई। 5 भेजे । 6 लाख रुपये तुमको भी दूगा। 7 भोज को जामिन होकरके दिलवाये है, तुमको घरसे दूगा 8 परन्तु ऐसा करो। 9 वाह-वाह अच्छी बात । 10 तब प्रधानोने यह बात नक्की की। 11/12 श्रापके जो पच्चीस उमराव है, उनकी साक्षी मेरेको हो जाये। अाज पीछे दूदोजी हमीरके विरुद्ध फिर कुछ करे तो इनकी साक्षी है । (वाह (१) शपथ । (२) वचन । (३) साक्षी। (४) मत । (५) विश्वास, भरोसा ) 13 बुला करके। 14 हमीरने ४०० कवचधारी आदमी एक जगह (गुप्त स्थान) पर तैयार करके रखे हैं। 15 उनको भी भेद नही दिया। 16 क्या जानें क्या हो जाय, तुम सावधान रहना। 17 जो कोई बात विगड जाय तो तुम पाकर युद्ध कर लेना। 18 भाइयोने परस्पर यह परामर्श (निश्चय) किया था कि मृग-घोड़ेके (मूल्यके) लिये लडाई करेंगे।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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