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________________ २५४ ] मुहता नैणसीरी ख्यात पर्छ असवार ४ वासै जगमालजी सेसू मेल्हिया - 'देखां सिखरो कासू करै छ ? सु थे जोय ग्रावो ।" ताहरा सेसू ऊभा जोवै छ । " ताहरा सिखरै भूतनू कह्यो - 'जु ते इतरो सरीर वधारियो सु हू डरूं नही । ' हूं ग्रादमी इतरै सरीरनू पोहचू ।" ताहरा भूत माणस जेवडो हुवो।" सिखरो बोलियो - 'जु तू ही श्राव । सूळा खाह । " आपा पर्छ लड़स्या ।' ताहरा भूत प्राय गोढं ' बैठो । 3 5 I 13 14 16 सिखरै काढि छुरी र बाकरारी खाल काढी । " वाकरो टांकर्ण कियो ।' पीडी तां" मास उतारियो । भीनी पोत ऊपर मांस सूड-सूड़ अर राखियो ।" तरगस मांहे सूळो काढियो । बोटी लूण लाय ग्रर सूळो उण झोटिंगरै हाथ दियो । 22 जित रे झीटोळिया भूत वीजा ही ग्राण बैठा । 23 सिखरोजी बोलिया - 'जु यांनू - " कहो जु लकड़ियां लावै ।' ताहरां भीटोळिया भूत लकड़िया प्रांगण लागा । 26 सिखरोजी सूलैरो बोटी आप ही खावै श्रर भूतनू ही हेक - हेक ' ' दै। इसी भात बाकरो खाधो । 27 वांसै वाकरारो सिरो रह्यो । 28 नाहरां एक लकडीरो चाहोलो कर बाकरारै नाक माहे देवर झोटिंगरै हाथ दियो ।' को - 'जु तू दुवि ।' ताहरां भोटिग दुवण लागो । 20 आप ऊठ र वागो पहरियो । हथियार बाधा । ताहरा झोटिंगनू कह्यो - 'जु बाकरैरा दात ढाक, मुहड़े तीव दे 16 19 21 । तीब लगाई । ताहरा दांत 22 3-4 तूने इतना शरीर (लवे) शरीरको पहुच I पीछे चार जासूस सवारोको जगमालजीने भेजा कि देखें, सिखरा क्या करता है सो तुम देख कर | 2 शेष (जासूस) खडे खडे देख रहे है ! वढा लिया है इससे मैं डरता नही; लेकिन मैं आदमी जितने सकता हू । 5 तव भूत मनुष्यके जितने शरीर वाला हो गया । 6 शूले खा । 7 पास 1 8 वकरेकी खाल निकाली । 9 वकको काटा | 10 से 1 II गीली धोती पर मासको उतार उतार कर रखा । 12 तरकशमेसे गूल (तीर) निकाल करके और उस पर बोटियोके नमक लगा कर शूले भोटिंगके हाथ दिये । भूत भी वहा आकर बैठ गये । 14 इनको । IS तब झोटोलिये भूत लकडिया लाने लगे । 16 एक-एक । 17 इस प्रकार बकरेको खाया । 18 पीछे बकरेका सिर रहा। 19-20 तब एक लकडीका चाहोला बना कर बकरेके नाकमे फँसा कर झोटिंगके हाथमे दिया और उसे कहा कि तू इसको इसमे खमोल दे । तव भोटिंग खसोलने लगा । 21 खुदने उठ कर बागा पहिना और हथियार बाँधे । 22 वकरेके दाँतोको ढक कर मुह पर तोव लगादे (सीदे) 1 13 इतनेमे दूसरे छोटे
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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