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________________ १८ ] मुहता नैणसीरी ख्यात सौण वांदियो ।' कह्यो-'कोट लेईस । पछै ठाकुरसी पाछी जैतपुर प्रायो। जैतपुर भटनेररो तेली १ परणियो हुतौ । तद ठाकुरसीजी तेलीरा होडा कराया । राजी कियो । एक दिन अहमद ईयैरो' बेटो परणावण गयो । वास' भाई पीरोजनू राख गयो हुतो । तदो' ठाकुरसी उठासू चढियो, भटनेर गयो। रान पडी। कोट नीचे जाय ऊभो रह्यो। तेलीसू सारत हुती। तद तेली हेढ़ लाव नाखी । तद ठाकुरसी सारा साथसू ऊपर चढ़ियो । भीतर गयो। लडाई हुई। पीरोज काम आयो । कोट लियो। राव श्री कल्याणमलजीरो प्राण फेरी । कूची गढरी राव कल्याणमलजीनूं मेल्हाई 13 तद कोट रावजी ठाकुरसीन बगसियो । पछै कितरहेक दिने ठाकुरसी देवलोक हुवो। वाघ टोके बैठौ । वाघसौ जैतपुर उतार लियो । पछै वाघ भटनेर रह्यो। पातसाही चाकर हुवो। वाघ पण देवलोक हुवो। पछै वाघरा बेटां कन' महाराज श्री रायसिंघजी पधारिया। अर' कह्यो-'थे छांडो अठैस, ज्यौ या धरती वीकानेर वासै घातां । तद ईया छाड भाठवा21 प्राय गूढो2 वसाय रह्या । भटनेर, नोहर वीकानेर वास घातिया । भटनेर महाराजा श्री रायसिंघजीरै हुवो। महाराजा श्री सूरसिंघजोरै हुवो । अर महाराजा श्री करणसिंघजीरै हुतौ । तद साहजहां पातसाहरै अमलमे सवत १६६.''खालसै हुवो। ताहरां लडाई हुई । जोगीदास काधळोत, कल्याणदास भाटी काम आया। पछै भटनेर खालसै रह्यो । ॥ इति भटनेर री वात सपूर्ण । 1 तव ठाकुरसीने इसे शकुन समझ कर वदन किया अर्थात् इसे शुभ शकुनके रूपमें माना। 2 कोट लगा। 3 जैतपुरमें भटनेरका एक तेली व्याहा हुआ था। 4 तव ठाकुरसीने तेलीकी बहुत खातिर की और उसे प्रसन्न किया। 5 इसका। 6 व्याहनेको। 7 पीछे। 8 उस समय । 9 कोट नीचे जा कर खडा रहा। 10 तेलीसे पहिले वातचीत हो ही चुकी थी। I तेलीने रस्सा नीचे डाल दिया। 12 ठाकुरसीने राव कल्याणमलजीको पानदुहाई फिरवा दी। 13 गढको चाबी राव कल्याणमलजीके पास भिजवा दी। 14 रावजीने तब उम गढको ठाकुरसीको वक्ष दिया। 15 कितनेक दिनोके बाद ठाकुरसी मर गया। 16 बाघके पाससे जैतपुर जब्त कर लिया गया। 17 पास। 18 और । 19 तुम इस धरती परसे अपना अधिकार छोड दो सो इसे वीकानेरके अधिकारमे ले लें। 20 इन्होने। 21 एक म्यानका नाम। 22 गुप्त रक्षास्थान। 23 भटनेर और नोहर बीकानेरके अधिकारमे लिये। 24 भटनेर महाराजा रायसिंहजीके अधिकारमे रहा, महाराजा सूरसिंहजीके भी अधिकारमे रहा और जिसके बाद जव महाराजा करणसिंहजीके अधिकारमे था। 25 तत्र बादशाह शाहजहाके शासन कालमे संम्वत् १६६ वह खालसे हो गया। 26 फिर भटनेर खालसे ही रहा ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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