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________________ अथ वात सिखरो बहलवै रहै तैरी जेसळमेर सोढारै विचमें कोटेचा रजपूत रहै । कोटेचारै वडकुवार दीकरी सु पड़िहारैरो मोहिल परणीजणनू आयो। भलीभांतरो व्याव हुवो। व्याव कर तठासू चालिया। वीच मारगमें प्रावता भगत हुई, तेथ सोळे बाकरा किया था। सु बाकरारा माथा, खुरा चरू माहै राखिया हुता। पछै उठासू कूच हुवो। आगै मारगमे तळाव आयो। ताहरा वडेरा ठाकुर हुता" सु बोलिया-'जु सिनान करो, सेवा-पूजा कर अमल करो । सेजवाळो एक आंतरै छोड़ावो । ताहरा कोटेची छोकरीसू कह्यो-'दातण लाव ।' ताहरां छोकरी दातण लाई। दातण कर कागसी वाही ।' सिनांन कियो। श्री ठाकुरांरा नाम लिया। पछे सिरावण मांगियो। 1 ताहरां छोकरी कह्यो-'बाईजी ! एथ सिरांवण बीजो तो क्युही नही। बाकरारा पूचणा तो चरू माहै छ ।'12 ताहरां कह्यो-'चरू हेठो उतार 113 पछै छोकरी पुरसती गई । ठकुरांणी जीमती गई। वे पूचणा सैह ही आचमन किया। पछै ठाकुरां दातण सिनांन कर नाम ले1 सीस खुरा मंगाया । आयनै छोकरीनूं कह्यो-'प्रांचणांरो चरू दै।' ताहरां छोकरी कह्यो'चरूसौं कानूं करसो ?' कह्यो-'चरू माहै प्रांचणा छ।' ताहरां छोकरी कह्यो-'प्रांचणा सिगळांहोरो सिरांवण कियो।18 ताहरां ___ I जैसलमेर (भाटियो) और (उमरकोट) सोढोके बीचमे कोटेचा राजपूत रहते है। 2 कोटेचोके एक बड कुमारी पुत्री जिसको पडिहारेका मोहिल व्याहनेको अाया। 3 विवाह कर वहासे चले। 4 लौटते हुए मध्य मार्गमे खानेकी तैयारी हुई जहा सोलह वकरे मारे गये थे। 5 सो बकरोके सिर और खुर चरुआमे डाल रखे थे। 6 वडे-बुड्ढे । 7 थे। 8 स्नान करलो और सेवा-पूजा कर के अफीम लेलो। पालकीको एक ओर थोडी दूर छुडवा दो। 9 दांतुन कर कधी की। 10 श्री भगवानका नाम-स्मरण किया। II फिर नाश्ता मागा। 12 वाईजी । यहा कलेवाके लिए और तो कुछ नही है, बकरोके सिरसुर तो चरु मे रखे हैं। 13 चरूको नीचे उतार दे। 14 फिर दासी परोसती गई और ठकुरानी खाती गई। 15 उन सभी पूचनोंका आचमन कर गई। 16 भगवानके नामका सुमिरण कर। 17 चरूका क्या करेंगे? 18 सभी प्राचणोका नाश्ता कर लिया।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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