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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात [ २०३ 2 13 14 6 8 पुहता । ताहरां सारा ही असवार पूठा फिरिया । " कहियो - 'एक असवार छै ।' 'ताहरा भोमियै कह्यो - 'रजपूत ! हथियार दे अर जीवतो जा । ताहरां सेतरांमजी कह्यो - 'थे म्हांरो वित, हथियार दे अर जीवता जावो । पछे सेतरांमजी भोमियांनू कही - 'थे पहली लोह करो, ज्यु पछै हूं करूं ।" ताहरां पहली सातवीसी तीर छूटा सु सरब सेतरांमजीरै लागा ।' ताहरा सेतरामजी घोडो उपाड़ नाखियो; सु सिरदार थो जिणनू सेतरांमजी मार लियो बरछीसू ।' ताहरा भोमियारा असवार भागा । ताहरां सेतरांमजी यारं तीररी दै सुठोड रहै । ताह असवार ५०क तो मार लिया। ताहरां बीजा दीठो- 'जु मार सिगळानू ।" तद हथियार छोड़-छोड सेतरामजी श्रागे आया नै कहियो'म्हानू मारो मती । ' ताहरा सेतरामजी सारानू मुसका बांधिया अर घोडा, हथियार, वित सरब लेअर पाछा प्राया । 12 ताहरा राजा दीठो‘जु सेतरांम कांम ग्रायो र भोमियो पाछो आयो ! 32 ताहरा साहणी दोड़ आया, देखै तो सेतरांमजी आवै छै । ताहरा पाछा श्राया खबर दी कहियो- 'जु सेतरांमजी आवै छै । भोमियो मारियो र रजपूतानू बांधे लिया आवै छै ।" ताहरा राजा सांम्हा जाय अर सेतरामजीरी निछरावळ कर र घरे ले आयो छे । 24 घोडा, हाथी दिया । 110. 113 16 ताहरां सेतरामजी केइक दिन अठै रहिने राजासू विदा कीवी छै । 15 राजा वळे दत-दायजो घणो रिजक देवर विदा दीवी । सेतरांमजी वडी जलूसाईसू कनवज पधारिया । 17 पहुँचे। 2 तब दूसरे सभी सवार पीछे लोट गये । 3 राजपूत ! प्रपने शस्त्र हमे दे दे श्रौर जिंदा चला जा । 4 तुम हमारा गोधन और शस्त्र देकर जीवित चले जाश्रो । 5 तुम पहले प्रहार करो और पीछे मैं करूं । 6 तव पहले १४० तीर छूटे सो सभी सेतरामजीके लगे । 7 फिर सेतरामजीने अपना घोडा उठाया और जो घाडेतियोका सरदार था उसे वर्धीका प्रहार कर मार गिराया । 8 फिर सेतरामजी इन पर तीर चलाने लगे सो जिसके लगे सो उसी ठिकाने रहे । 9 तव दूसरोने देखा कि यह तो सबको मार देगा । 10 हमे मत मारो । II तब सेतरामजीने सबकी मुश्के बाँध दी और उन्हें उनके घोडे, शस्त्र और गोवन शादि सर्व लेकर पीछे लौटे। 12 तब राजाने देखा कि सेतराम तो काम आ गया और भोमिया वापिस लौट कर आ रहा है। I 13 कहा कि यह तो सेतरामजी श्रा रहे हैं । भोमिएको मार दिया है और उसके दूसरे राजपूतोंको वाघ कर लिए आ रहे हैं । 14 तब राजा सामने जाकर सेतरामजी पर निद्धरावल करता हुग्रा अपने घर ने घया है। [S कई दिन यहाँ रह करके सेतरामजीने राजासे विदाई ली । 16 राजाने चोर वहुत सा धन माल और दहेज देकर विदाई दी । 17 सेतरामजी बडे ठाटसे कन्नोज गये ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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