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________________ २०० ] मुहता नैणसीरी ख्यात 1 ताहरा इहां वडी हठ कियो आपस मे । " पण ग्राखर कुवर प्रारं हुम्रो ।' कह्यो - 'भला राज ! जीम ग्रर चढस्यां । " ताहस राजा महमांनी तयारी कीवी । श्रर दारू ग्रासो मगायो तं पियासू तुरत घूट हुवै । श्रर राजा श्रपरा चाकरांनू को - 'ग्राज सारत छ, जद हूं कहू - कुंवरजीनूं एक प्यालो वळं फेरो, ताहरां थे लोह कर मार लिया । 5 1 7 8 9 ताहरा गोठ तयार हुई । ग्रर कुवरनू, सारै साथनू कोट मे तेडि ले आया । अर वासै आदमी ५-१० राख ग्रर कुवर राजा पासे यायो । अर कुवरनू घर रजपूतानू इसा छकाया तैसू पग टेक सगँ नही ।° ताहरा कुवर राजानू कही - 'राज । ग्राप पण श्रावो जीमां । तद राजा कही- 'हू थाहरी चाकरी मे ऊभो छू ।" ताहरां सारै साथ परीसारो करण लागा । ताहरां राजा सारत वोलियो । * कह्यो - 'एक प्यालो वलै फेरो 25 ताहरां राजारो लोक ऊभो थो तिकै भच भचाय र कुवरनू र रजपूतानू मार लिया । 1 111 112 13 | 16 17 राजा चढ डेरै आयो । घर राजा महळनू लेग्रर घर घातियो । " र लोक नाठो सुईये राजा पास थायो अर कही - 'आ हकीकत हुई । कुवरजीनू मारिया श्रर महल ले गया । 128 तो इन्होने परस्पर बडा हठ किया । 2 परन्तु अन्तमे कुंवर विवश हुआ (स्वीकार किया 1 ) 3 अच्छा श्रीमान् ! भोजन करके रवाना होगे । 4 तव राजाने भोजनकी तैयारी की । 5 और ऐसा श्रामा मद्य मगवाया जिसके पीने से तुरन्त वेभान हो जाय । 6 राजाने अपने चाकरोसे कहा कि ग्राज यह सकेत है कि जब मैं कहूँ कि कुवरजी के लिए एक प्याला घोर फिराया जाय, तव तुम शस्त्रोके प्रहार कर मार देना । 7 अव गोठ (भोजन) तैयार हुई | 8 कुवरको श्रीर उसके समस्त साथको कोटमे बुला कर ले प्राये । 9 पीछे सिर्फ ५-१० आदमियोको रख कर कु वर राजाके पास आया । 10 यहाँ कुंवर प्रोर उसके राजपूतों को शराब पिलाकर ऐसा छकाया कि खडे हो तो पाँव भी नही टिक सके । 11 तब कुंवरने राजासे कहा कि राज ! आप भी श्राईये श्रौर भोजन करिये । 12 मे तुमारी चाकरीमे खड़ा हूं | 13 तव सबको परोसगारी की जाने लगी । 14 तब राजाने संकेत मे कहा । IS एक प्याला ओर फिराम्रो । 16 तब राजाके आदमी खड़े थे उन्होने भचाभच शस्त्र चला कर कुंवर और उसके राजपूतोको मार दिया । 17 राजाने उसकी स्त्रीको ले जाकर अपने घरमे डाल दो | 18 शेष लोग जो रह गए थे वे वहाँसे भागे सो इस राजा ( कु वरके वाप) के पास आये और कहा कि कुंवरजीको मार दिया है और वधू को वह राजा ले गया । यह हकीकत वोती है । 1
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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