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________________ १७८ ] is is मुहता नैणसीरी ख्यात नाभ सिंधुद्वीप अयुतायु ऋतपर्ण सर्वकाम in r सुदास r अरुमक r मूलक in n in माधाता चकवै पुरुकुत्स त्रिदस अनरण्य हर्यश्व प्रणव त्रिवंधन सत्यव्रत हरिश्चद्र रोहिताश्व हरित चप* सुदेव विजय भरुको वृक बाहक सगर महायश अजमजस अंगुमान दिलीप भागीरथ दशरथ (प्रथम) एलविल विश्वसह खटवांग दीर्घबाहु mr ñ ñ in रघु i m in x x अज दशरथ (द्वितीय) श्री रामचन्द्रजी कुश अतिथि निषध नल पुडरीक खेमधुनी देवनीक x x x x श्रुत I मान्धाता चक्रवर्ती। 2 विदस्यु । 3 कई प्रतियोमे स० ३० और ३१के दोनो नामोको 'सत्यव्रत हरिश्चन्द्र' एक करके लिखा है। 4 ऋतुपर्ण 5 बटवाग (षट्वाग) नामक एक राजपि । 6 दोमध्वनि । पानान्तर-- *(१) चंपक (२) पच । °(१) रुरुक,(२) रुरु । अतिथ ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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