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________________ अथ वात राव लूणकर्णजीरी लूणकर्णजो जेसळमेररी फतै कर पाछा पधारिया । ताहरां लोकां कह्यो-'हिवै एक वार वोकानेररै कोट माहै पधारो।' भला सवणां पधारिया छो। तद रावजी कह्यो-'न जावां ।'4 रावजी वात मांनी नही ।' दिलीन चढि चलाया। तद द्रूणपुर प्राय डेरा किया । पछै या जायगा देख पर कह्यो-'पा तो जायगा इसी छ जु अठ कोई कुवर राखीजै ।' ताहरा कल्याणमल उदैकरणोत वीदावत हुतो, तियै सुणियो ।' ताहरा जाणियो- 'जु आ वात तो बुरी हुई। यू करता राव लूणकर्णजी तो दिलीन आघा हालिया ।' कल्याणमल वीदावत हरोळ कियो ।' अर पठांणारी फोजा साम्ही पाई, तिय माहै रायमल कछवाहो हरोळ हुतो, सु रायमल कल्याणमलरो नानो हुंतो। अर दिली पातसाही पठाणारी हुती । ताहरा सीवाडो घातता हुता सु राव लूणकर्णजी मांनी नही। कह्यो-'नारनोळ सीव घातो, नोरनोळ लेस्या ।14 सु ईंया अापस माहै वात कर फोज में भगी घाती। कल्याणमल उदैकरणोत रायमल कछवाहैनू कह्यो-'जु थे घोडा घातो ।।" म्हे पालसा। पासो दे जास्या।1' ताहरा उवां घोड़ा राव लूणकर्ण जैसलमेरकी फतह कर वापिस पाये। 2-3 तब लोगोने कहा कि 'अच्छे शकूनोसे पधारे है तो अव एक वार बीकानेर के गढमे पधारे।' 4 तब रावजीने कहा-'नहीं जायेगे। 5 रावजीने लोगोकी बात मानी नही। 6 फिर इस जगहको देख कर कहा--'यह तो जगह ऐसी है सो यहा कोई अपने कुवरको रख देना चाहिये ।' 7 इस वातको वीदावत कल्याणमल उदयकरणोतने सुन लिया। 8 उसने विचारा 'यह बात तो बुरी हुई। 9 राव लूणकर्णजी तो दिल्लीके लिये आगे चले । 10 कल्याणमल बीदावतको अपनी सेनाके हरोलमे किया। II और उधर पठानोकी सेना सामने आई जिसमे रायमल कछवाहा हरोल में था। रायमल कल्याणमलका नाना था । 12 दिल्लीमे वादशाहत पठानोकी थी। 13 उस समय सीमाकन हो रहा था पर राव लूणकर्णजीने इस सीमावधीको स्वीकार नही किया। 14 और कहा कि 'नारनोल हम लेंगे नारनोल तक सीमा निश्चित करो।' 15 सो इन्होने (रायमल और कल्याणमलने) परस्पर परामर्श कर सेनामे फूट डाल दी। 16 कल्याणमल उदयकरणोतने रायमल कछवाहेको कहातुम घोडे (मीमा चिन्ह) गाड दो (तुम घोडे डाल दो)। 17 हम तुमको रोकेगे और तुम को मौकाभी देते जायेंगे ।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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