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अथ वात नरबद रांणैजीनू आंख दीवी तियै समै री
लिख्यते
जद राव रिणमलजी नै राणो मडोहर ऊपर आया, ताहरां नरबद सांम्है जाय लडाई कीवी । तद नरबदजी खेत पडिया । तद पडतारै तरवार डावी अाख ऊपर पड़ी, तैसू डावी अाख फूटी। इतरै' रांणो मोकल आयो । ताहरां नरबदनू घावा पड़ियो देख उठायो। रणमलजी मडोहर टीक बैठो।
अर नरबदजीनू राणोजी चीतरोड' ले गया। पाटा बाधा । घाव सारा किया ।' अर नरबदजीन लाख रुपियारो पटो दियो कायलांणो ।' ताहरा नरबदजी कायलांण रहै ।
वांस रांणा मोकलनू पण चाचै मेरे मारियो, ताहरा रांणो कुंभो टीक बैठो।12 पछै कुभै राव रिणमलजीसू चूक कर, राव रिणमलजीनू मारिया । तद राठवड़ासू वैर पडियो ।
तद नरबदजी तो कुभै पास हीज रहिया । कुभो नरबद सौ वडो प्यार करै। - एक दिन दीवाण दरबार कर बैठा छ। ताहरां दरबार मांहै नरबदजीरी लोकां सुपारस कीधी।16 कहियो-'आज धरती माहै नरबदजी सारीखो रजपूत कोई नही ।" नरबद वडो रजपूत छ ।' ताहरा राणैजी कहियो-'इतरो कासू छै सो वखांणो छो ?18 ताहरां
I जब । 2 और। 3 सम्मुख । 4 तव नरबदजी घायल होकर धराशायी हुए। 5 वाँई। 6 जिससे । 7 इतनेमे। 8 'तब नरबदको घायल पड़ा हुआ देखकर उठा लिया। 9 चित्तौड। 10 घाव अच्छे किये । II और नरवदजीको एक लाख रुपयेकी कायलाणाकी जागीरीका पट्टा कर दिया। 12 पीछे राणा मोकलको भी चाचा और मेरेने मार दिया, तव राणा कुभा गद्दी पर बैठा। 13 पीछे कुभेने राव रिणमलजीसे चूक करके उन्हे मार दिया। 14 तव राठोडोंमे शत्रुता हो गई। 15 तब नरवदजी तो कुभेके पास ही रह गये। 16 तव दरवारमे लोगोने नरबदजीकी सिफारिश (प्रशसा) की। 17 आज देशमे नरवदजीके समान कोई राजपूत नही है । 18 ऐसी क्या बात है सो इतनी प्रशसा कर रहे हो ?