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________________ १२४ ] मुहता नैणसीरी ख्यात मोतियारा पुडिया ले ले गया। सीहै सीधळ पुड़ियो लियो नही । ताहरा दीवांण बारियांनू पूछियो-'रे पातळा मे क्युही लाधो ही ?'2 कहियो-'जी, और तो पातळा माहै क्युही लाधो नही, अर सीहैजीरी पातळमे मोती लाधा ।' ताहरां अमराव जीम-जीम ऊठिया। ताहरा सीहैरो जोडो' माडण साम्है कियो। ताहरां सीधळ सारा ही बोलिया'भला, हो सीहा । थारा भाग, मांडण ही घस करण लागो ? 4 ताहरा सीहो बोलियो-'माडण मोनू मारसी ।" या वात चौकस हुई।' __यु करता कितरेके दिने सीहै दीवाणरो वास छोडियो। ताहरा सीहो जायनै जाळोर गजनीखानरै वास रहियो । डोडियाळ पटै दीधी। ताहरा मांडण जाणियो-'हिवै' सीहो गयो। ताहरा माडण पण दीवाणरो वास छाडियो। ____ ताहरा मांडण मारवाड आयो। कले वीदावत कनै गयो । जायनै कटारी छोडी । माडणजी कहियो-'कला ! तू वीदैरो बेटो, जे तू कटारी बधाडै तो बाधू ।'10 ताहरां कलो जितरो11 आपरो12 साथ हुँतो, तितरेसी' चढिनै साथै हुवो । ___अठै मारगमे विचे उदेसी देवडो रहै बाहरली-पालडी ! ईयै देवडै सिरदाररै साथ घणो । भला भला राजपूत । सो सीहैरै परणियो अर माडणरै ही उदैसी परणियो।16 माडणरी बेटी सुहागण, सीहैरी बेटी दुहागण ।” ताहरी मांडण उदैसी कनै चारण मेलियो अर कहियो-'बाईनू कहजै ज्यु उदैसोनू गुदरावै ।" थाहरै निलाड दही ___1 केवल सीहे मीधलने पुडिया नही लिया। 2 अरे । पत्तलोमे कुछ मिला भी ? 3 जूतियोका जोडा। 4 धन्य, यो सीहा | तेरा भाग्य | मांडण भी युद्धकी तैयारी करने लगा? 5 मांडण मेरेको मारेगा। 6 डोडियाल गांव पट्टे मे कर दिया। 7 अव । 8 पास। 9 जाकरके कटारी छोड दी। 10 मांडणने कहा-'कला । तू वीदेका पुत्र है, शव यह कटारी यदि तू बंधाएगा तो बांधूग।। " जितना। 12 अपना। 13 उतनेके नाय। 14 यहां रास्ते मे बाहरली-पालडी गाँवमे उदयसिंह देवडा रहता है। 15 इस देवटा सरदारके पाम मैन्य दल बहुत । 16 उदयसिंह सीहेके यहाँ व्याहा था और उदयसिंहके यहा भी व्याहा था। 17 मांडणकी वेटी समादृता और सीहेकी वेटी अनादृता। 18 भेजा। 19 वाईको कहना मो उदपसिंहको हमारी ओरसे गुजारिश करे।
SR No.010611
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 03
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1964
Total Pages304
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size12 MB
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