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________________ ६७ मुंहता नैणसीरी ख्यात सहरसू कोस पूणरी तहड़ कूणमें गांगड़ी नदी छ । तिणरै ढाहै रावळ पूजारो करायो वडो राजवाग छ । . वात वांसवाळारी मूळ तो कदीम ठाकुराई वागड़री डूगरपुर हीज हुती । पछै रावळ जगमाल उदैसिंघोत, रावळ प्रथीराज उदैसिंघोत कनै आध वंटायनै गांव १७५० लिया। वांसवाहळो राजथांन कियो । तठा पछै इतरा पाट हुवा (१) रावळ जगमाल उदैसिंघरो। (२) किसनो जगमालरो। पाट बैठो नहीं। (३) कल्याण किसनारो। पाट बैठो नहीं। (४) रावळ उग्रसेन कल्याणमलोत । (५) रावळ उदैभांण । (६) रावळ समरसी। . (७) राउळ कुळ सिंध समरसीरो । (८) रावळ अजबसिंध । .. (६) रावळ भीमसिंघ । आगै तो वंट डूगरपुर वांसवाहळे सारीखो हुवो थो पिण आज वांसवाहळो क्यू डूगरपुरथी सरस' छ । हासळ वांसवाहळे भळेरो छ । मही नदी वांसवाहळाथी कोस ३ उगवणनू छै ।. मही नदी मांडवरा भाखरांथी आवै छै । डूगरपुरथी कोस १० मही नदी वहै छै । डूगरपुर वांसवाहलै मुदै रजपूत चहुवांण-वांगड़िया । चहुवांण डूगरसी वालाउतरा पोतरां माथै ।10 इणांरै वाप-दादा सदा डूंगरपुर वांसवाहळांरा धणियांनै थापै-उथापै छ । नै बाहरली फोजां रांणारी, पातसाहरी आवै छ, तरै चहुवांण स्यांम नदी रांणारै मुलकरै गड़ा 1 पोन । 2 एक नदी । 3 नदीका ऊंचा किनारा । 4 प्रारम्भमें प्राचीन समयसे ही वागड़की ठकुचाई डुगरपुरमें ही यो। 5 जिसके बाद इतनी राज गहिये हुई। 6 से । 7 अच्छा । 8 की ओर । 9 मुख्य । 10 जो बालावत डूगरसीके पोतोंसे यह (शाखा-वागढ़िया चौहानकी) प्रसिद्ध हुई। 11 स्थापन करते और हटाते हैं।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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