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मुंहता नैणसीरी ख्यात मारिया। माल-वित' सारो हाथ आयो। इणविध तो डूगरपुर ले ... आपरी राजधांनी उठ कीवी। बडी ठकुराई हुई। विणजारा वहण लागा । नै घणो दांण आवै छै । ____ तिण दिन गळि यो-कोट डूगरपुरसू कोस १२, तठ टांटळ-रजपूत भोमिया-माणस हजार दोढ-दोयसू रहै । तिण मांहे असवार ५०० छ । सासता डूंगरपुररो धरती मारै । विगाड़ करै । गळि यो-कोट बड़ो कोट । तत्रै रहै । वाहर वांस हुवै, तितरै कोटमें पैसे 1 कोटसूजोर लागै नहीं । नै कोटरी उणरै जाबताई? घणी। उवेचकिया रहै । रावळ घात घणी ही करै, पिण दाव लागै कोई नहीं । तरै रजपूत भाई २ रावळरै इतबारी चाकर था, तिणांनूं जोगीरो भेख करायनै गळिये कोट घात जोवणनूं मेलिया। घणो खरच दियो। वे जोगी हुय गळिये कोट गया। वे आगला ओपरा आदमीनूं गांवमें रहण दै नहीं । सु वे चरचा सुणनै मास १ गांव बारे बेस रह्या तळावरी पाळ ऊपर । कठै ही भीख मांगण नै जाय नहीं। आपरो (भेद) कोई न जाण त्यूं आधीरा पछै छांनै कर खाय । किणही आवत-जावंतवू वोले नहीं । तरै उणरी वडी मानता12 हुई । पछै गांवरा साहूकार, परधान, कोटवाळ, वडेरा माणस हुता तिके गांव माहे जोगियां . । घणो हठ करने ले गया। मैं कहै-'म्हे न हालां13 ।' पिण माडेई14 ले गया। कोटरै मुंहडै15 ठाकर द्वारो छ, तठै राखिया । औ किणहीरै घर मांगण न जाय । किणही तूं घणा बोलै नहीं । इणांरी वडी मानता हुई । तरै वडेरो टांटलारो धणी थो सु वेळा ५ तथा ७ . इणांरै दरसणन आयो। कहण लागो. "म्हारो धर प्रवीत करो। कोट मांहे पधारों।" इणां वेळा . दोय च्यार उजर कियो, पिण कोट मांहे ले गया। उठे जिमाड़िया17। .
. 1 धनमाल 1 2 समस्त । 3 बनजारे उधर होकर चलने लगे । 4 निजके खेतोंवाले क्षत्री लोग । 5 निरंतर । 6 वाहर (पदचिन्हों को देखकर पीछा करनेवाले) पीछे पहुंचने को होती है उतने में ये कोट में घुसजाते हैं। 7 रखवाली । 8 वे खूब सावधान रहते हैं। 9 गलिया कोटवाले। 10 अपरिचित और उटपटांग। 11 आधीरात को छिपकर भोजन बनाकर खाते हैं। 12 मान्यता। 13 हम नहीं चलते। 14 वलात् । 15 सामने। 16 पवित्र । 17 भोजन करवाया।