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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात खबर आई । वे चढनै भीलवण गया । खेत - संभाळियो । तरै सिरदार- मुगल माननं पूछियो - " तीन से च्यार से आदमी काम आया छै, इण मांहे थांहरा कितरा नै रावळरा कितरा ? " तरैमांन कह्यो - " तो सोह म्हांरा कांम आया ।" तरं तुरकां कह्यो"थे लूण- हरामी कीवी, तिसी सभा पाई ।" तरै तुरक ऊठ परो गयो । मांनरो बळ छूटो" । तरै मांन वांसवाहळो ऊभो मेळने दरगाह गयो' । तद सूरजमल रावळनं खबर मेली । तद रावळ आय वांसवाहळ बैठो । धरती हाथ आई । मांन दरगाह गयो, तठा पर्छ कितरेक दिने रावळ उग्रसेन नै सूरजमल ही दरगाह आया । मान पईसांरै पांण पातसाही सारी हाथ की छै । इणानू पाखती 7 कोई बैसण न दे । मांननू बांसवाहळो दीजै छै कह्यो - "बांमणांनू वांसवाहळ कर लागे छे सु थे छोड़ो। म्हे अठ रहां छ । सुमांन मारणी आसी तो मारस्यां पर्छ धरती मांहे कर छोड़ाई" । पछे रावळ हालियो । सूरजमल वांसै रह्यो । पछै चहुवांण मांन वोच आपरो रजपूत गांगो गोड़ फिरै । पछे घात 12 देख मांनरा डेरा ऊपर आयो । ब्राहनपुर चहुवांण मांननू मार कुसळे सूरजमल कनै गयो । । तरै सूरजमल रावळनू । 10 ܘ ܘ ७७ वात सीसोदिया डूंगरपुर वांसवाहळारा धणियांरी संमत १७०७ ₹ वरस मुहतो नरसिंघदास जैमलोत डूंगरपुर गयो थो । तरै रावळ पूजारो करायोड़ो देहरो” छै । तिरै थांभै 4 रावळ पूजै आपरी पीढी 15 मंडाई छै । तठाथी लिख ल्यायो 16 पीढियांरी विगत - 1 १ आदि श्रीनारायण । ४ मरीच | २ कमल । ३ ब्रह्मा । .1 युद्धक्षेत्रको सम्हाला 1 2 कितने । 3 ये तो समस्त मेरे ही काम आ गये ( मर गये) । 4 वैसी सजा पाई। 5 मानकी शक्ति टूट गई। 6 तन मान बांसवाड़के ऊपर अधिकार जमाने की बात छोड़ कर बादशाह के दरबार में गया । 7 इनको पासमें कोई बैठने न दे | 8 ब्रह्मणों को बांसवाड़े में कर लगता है । 9 हम यहीं रहते हैं । 10 मानको मारनेका अवसर आयेगा तो मार देंगे । 11 पीछे देशको करसे मुक्त किया । 12 मारने का अवसर | 13 मंदिर | 14 स्तम्भ पर 1 15 वंशावली । 16 उस स्थान से लेखकी प्रतिलिपि करके लाया |
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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