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मुंहता नैणसीरी ख्यात जाणो त्यूंकर मेळ करो।" तरै . परधानांनूं रावळ प्रथीराज सूधो कह्यो-"जांणो सु जगमाल दे मेळ कर आवो।" तरै परधान जगमाल मेरा कनै आया नै वात करी। गांव ३५०० सैरो आध जगमालनूं दियो । वांसवाहको पग-ठोड़' थापी । दोय रावळ हुवा। दोयां सारीखी राजधानी हुई। तरवार सांमां वासवाहळांरा धणियांरी विसेख हुई।
वात वांसवाहळारा मानसिंघरी
रावळ मानसिंघ, रावळ परतापरै खवास पदमां विणियांणीरै पेटरो । रावळ प्रताप और बेटो को न थो, नै मानसिंघ निपट सुलखणो हुतो। पांच रजपूत देसरै मिळ मानसिंहनूं टीको दियो । राज करै छ। पछै चहुवांणांरो नारेळ आयो । आप परणीजण उठै गयो। वांस' वांसवाहले आपरा परधान राख गयो हुतो। वासै खुंधुरै भीले क्यूं विगाड़ कियो । तरै परधान थोड़ा हीज साथसू खुंधु ऊपर गया । तठे वेढ हुई। रावळ मानसिंघरै साथ नै भीलारै । वा वेढ भीलां जीती। रावळ रो परधान हारियो । उणै वेइजत कर घोड़ा लेनै छोड़िया। पछै रावळ परणीजनै आयो नै आ वात सुणी । सु कांकण-डोरड़ा 11 खुल्या नहीं छै । रावळ मानसिंघरै डील आग लागी12 | खुंधु ऊपर चढ दोड़ियो। जायनै खुंधु मारी । गांव चोगिरद घेर नै खुंधुरो धणी भील झालियो । नै उण पकड़नै लेनै आयो । कोस १० आंण डेरो कियो छै । उण भीलरै पगे बेड़ी छै । हाथ छूटा छै । उणसं आप डाकर16 करै छै। डेरे कूचरी तयारी करै छै। चो० मांन सांवळदासोत, रा० सूरजमल जैतमालोत पिण निजीक छै। ओ खुधुरो धणी
भील लाजरो17 आदमी हुतो। तिण जांणियो मोनूं रावळ बेइजत ... 1 रहनेका स्थान, राजधानी । 2 दोनोंके लिये एक सरीखी। 3 तलवारके सम्मख वांसवाड़ाके स्वामियोंकी विशेषता रही। 4 प्रतापकी घरमें रक्खी हुई बनियेके स्त्रीके गर्भसे उत्पन्न रावल मानसिंह । 5 मानसिंह अत्यन्त सुलक्षणों वाला था। 6 फिर चौहानोंकी ओरसे विवाह संवन्धके लिये नारियल आया । 7 पीछे । 8 उस युद्धको भीलोंने जीता। 9 उसने । 10 वेइज्जत । 11 विवाह कंकण । 12 रावल मानसिंह अत्यन्त कुपित हुआ। 13:जा करके खुधु :गांवको लूट लिया। 14 पकड़ लिया। 15 उसको । 16 डांटते हैं। 17 लज्जा (प्रतिष्ठा) वाला आदमी-था।. . . . .