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________________ [ सकता, इसलिये हम प्राचीन कृतियोंके सम्पादन एवं प्रकाशनमें मूल रचनाके पाठको प्रधानता देते हैं । २ ] "मुंहता नैणसीरी ख्यात" के प्रकाशनमें हमें कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है । कार्य विस्तारका अनुमान करते हुए हमने पहले राजस्थान टाइम्स प्रेस, अजमेर में इसका मुद्रण प्रारम्भ करवाया किन्तु उक्त प्रेसके बन्द हो जानेसे यह कार्य जयपुर में जयपुरप्रिन्टर्सको और तत्पश्चात् प्रतिष्ठान के नव-निर्मित भवनमें जोधपुर स्थानान्तरित हो जाने पर साधना प्रेस, जोधपुरको दिया गया । हमने इस ग्रन्थका सम्पादन - कार्य श्री वदरीप्रसादजी साकरियाको तत्परतापूर्वक एवं समय पर सम्पादित कर देनेके उनके ग्राग्रह और श्री अगरचन्दजी नाहटाके ग्रनुरोधसे सौंपा था किन्तु कतिपय अन्तर वाह्य कारणोंसे ग्रपेक्षित समयमें कार्य पूर्ण नहीं हो सका । ग्रन्थके पूर्ण होने में श्रव भी विलम्वका होना अनुभव करते हुए ग्रीज हम यह प्रथम भाग प्रकाशित कर रहे हैं । ख्यातका लगभग इतना ही श्रवशिष्ट अंश, ख्यात - संबंधी विशेष ज्ञातव्य और ख्यातगत विशेष नामोंकी अनुक्रमणिका आदि दूसरे भाग में प्रकाशित किये जावेंगे । - हम इस ख्यातके शेष भागको भी शीघ्र ही प्रकाशित करनेके लिए प्रयत्नशील हैं । राजस्थान प्राच्यविद्या प्रतिष्ठान, जोधपुर | माघ शुक्ला १४, सं० २०१६ विक्रमीय मुनि जिनविजय सम्मान्य सञ्चालक
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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