SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 53
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात - भैंसरोडथी कोस ४ रिख-विसळपुर मेवास' छै । भील बसै छ । भैंसरोड पंचळदेस । गांव २५ लागै । गांव बारै हवेलीरा भैंसरोडसूं लागै । - तठा-आगै' गांव ४५ कुंडाळरा । मोहिल-मांकड़ारो परगनों कहावै छै । उदैपुरथी कोस ५० । ... भैंसरोडसूं कोस २० रांमपुरो । दखण→ कोस १२ ताँई रामपुरै दिसा भैंसरोड़री हद छै । भैंसरोड हे?' चांमळ नदी वहै छै । तीन नदी भैंसरोडरा कोट दोळी फिरै छै । भैंसरोड कोट १ भीतरो छ । बीजो खाई गढरै आकार पड़ गई छै । घर ४०० कोट मांहे. वसै छ। ____ नदी तीनरी विगतः-१ चांबल। १ बांभणी । १. पगधोई। ___ मेवळ मेरांरी12 नै पटे बंभारारै । मांहे सीसोदिया सारंगदेओतारो उतन । इणांरो एक छेह15 उदैपुरथी कोस ६ उदैसांगररै नाळे हद । बीजो छेह देवळियाथी कोस ३ वडो मेरवाड़ो हुतो” । बूरड़, बरगड़, बुजमा, लड़मर, इणां जातांरा मेरं गांव १४० माहे रहता, सु एक वार रांण जगतसिंघ काढिया हुता । पछै झाले कल्याण अरज कर नै उरा अणाया। हमार राँणै राजसिंघ मेर परा काढ नै22 सिगळा23 गांवांमें सीसोदिया, चूंडावत, सकतावत, रांणावत, वसीयां24 सूधा वसाया छै । नै मेर देवळियांरै मेरवाड़े गया । विगाड़ करै छै । देवळियान मेवल वीच मूंडळरो मुलक कहावै छै । मुदै26 ठोड़ धीरावद, तठे? ही मेर वसंता । रैत हुवा चालता के28 मेवासी हुवा चालता । 1 बीसलपुर वालोंका 'रिख' नामक मेवास (लुटेरोंका रक्षा स्यांन) भंसरोडसे चार कोस पर स्थित है 12 पाञ्चाल देश । 3 राजा व जागीरदारको निजी सम्पत्तिके । 4 वहाँसे आगे। 5 कहलाता है। 6 तक 1.7 नीचे । 8 चम्बल 19 गढ़ीके समान एक दूसरी खाई बन गई है। 10 चंवले । ब्राह्मणी (ब्रह्मनी) 12/13 मेवल मेर-क्षत्रियोंकी और वंभाराको जागीरोमें। 14 इनका । 15 छोर। 16 दूसरा । 17 था। 18 इन। 19 निकाल दिया था। 20 पीछे कल्याणसिंह झालाने अर्ज करके वापिस बुलवा लिया। 21 अभी। 22 निकाल करके। 23 समस्त 1.24 वसीवान, जागीरदारके कामदार आदि वे लोग जिनसे किसी प्रकारका टैक्स नहीं लिया जाता है..। नाई, कुम्हार. आदि कई जातियां भी जागीरी में वसीवान होती है। 25 सहितः ।. 26 मुख्य स्थान. धीरावद 27। वहां हो। 28 कई। :: :::..."
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy