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मुंहता नैणसीरी ख्यात
राणो अमरसिंघ, राणा प्रतापरो । संमत १६१६ चैत सुद ७ रो जनम । पवार- पूरबीयाँरो' भांणेज । पातसाह जहांगीरसुं वरस नवरो विखो जाजरीयो । घणी लड़ाई करी विखा मांहे । मालपुरो ( साहिजादो खुरम ) राजा मानसिंघ उदैपुर बैठां मारीयो । अकबररे दोर मांहे' । पछै पातसाह जहांगीर जोर हठ ऊपर आयो' । सगर asो ग्रासियो हुवो चीतोड़ आइ वसीयो' । वरतीरा रजपूत कितराहेक मिलीया' और मिलणनूं तयार हुवा । पातसाह जहांगीर आप आय अजमेर वैठो, तरै आपरो दाव देख रांणो अमरसिंघ साहिजादानूं घोघुंदे आय मिलीयो । असवार १००० री चाकरी कबूल करी । पछै साहिजादे खुरम दिन १ रांणानूं राख सीख दीनी' । कंवर करननूं ले नै खुरम अजमेर आयो संमत १६७१ रा फागुण मांहे | संमत १६७६ रांणे अमरसिंघ उदैपुर काल कीयों ।
राणा अमरसिंघरा बेंटा
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१० रांणो करन। संमत १६४० रा सावण सुदी १२ रो जनम । संमत १६९४ फागुणमें काल प्राप्त हुवो" ।
१० अरजन अमरारो । सदा रांणारो चाकर हीज़ रह्यो । . देवड़ा बिजारो दोहीतो ।
१० सूरजमल अमरारो ।
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११ सुजांणसिंघ । पातसाही चाकर । फूलीयो पट ११ वीरमदे । पातसाही चाकर ।
१० राजा भीम, वडो रजपूत हुवो। विखे सारे मांहे ठोड़ ठोड़ भींव पातसाही फोजांसूं लड़ीयो । पछे विखे मिटीये 12 साहिजादा खुरमरै चाकर रह्यो । संमत १६७९ राजाई
1. पूरविये. परमारोंका | 2 सहन किया 1 3 खुर्रम और मानसिंह कछवाहा के उदयपुर में बैठे हुए मालपुराको लूट लिया । 4 अकवरके शासनकालमें । 5 बादशाह जहाँगीर अत्यन्त हर पर चढ़ा | 6 सगर ग्रातियेकी ( लूट खसोट करनेवाला) स्थितिमें होते हुए भी चितौड़ आकर बस गया । 7 देशके कितने ही राजपूत उससे मिल गये । 8 अवसर -1 9 जानेको यात्रा दो 10 उदेपुरमें मरा। 11 मरा । 12 संकट मिटने पर ।