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मुंहता नेणसीरी ख्यात
२४ जगमाल मारीयांरो दावो रांणो अमरसिंघ राव कनै मांगसी' सु दीवांण कदै राव ओळभोर ही दिरायो नहीं, नै रावसू सामो घणो सुख कीयो । रावनू वेटी परणाई । तरै सगरनू इण वातरो घणों इमरस आयो । तरै सगर दरगाह आयो । मेवाड़री सारी वात पातसाह जहांगीर- गुजराई । वात सहल' कर दिखाई । तरै रांणासू विखो कीयो । पातसाह जहांगीर सगरनू राणाई दीवी' । चीतोड़ मेवाड़ सारो दियो। ऊपर नागोर अजमेर वळे' घणा परगणा दीया । घणी मया करी12 । सगर वरस उगणीस १९ चीतोड़ राज कीयो । निपट वडो ठाकुर हुवो । ___पछै संमत १६७१ पातसाह जहांगीर आप आय अजमेर बैठो। साहजादो खुरम आय उदैपुर बैठो। तरै राणो अमरसिंघ खुरमसू मिळीयो । असवार १००० सू चाकरी कबूल करी। तरै मेवाड़ पाछो रांणा अमरसिंघनू दीयो । सगरनू रावताई14 दीवी । पूरवमें जागीरी दीवी । श्रीवाराहजीरो देहुरो पोकर माथै सगर संवरायो। संमत १६१६ भादवा वद ३ रो सगररो जनम छै । सगररा बेटांरी विगत
९ इंद्रसिंघ सेखावतारो भांगजो । सगर जीवतां मूवो! । · ९ मानसिंघरो जनम सगर वांसै” रावताई पाई तैसू, संमत १६३९ रो। . १० हरीसिंघ ।
१० मोहकमसिंघ ।
1 जगमालको मारनेसे उत्पन्न हुई शत्रुताके बदलेका दावा राना अमरसिंह राव सुरताणसे मांगेगा अर्थात् बैरका वदला लेगा । 2 उपालम्भ । 3 उल्टा । 4 प्रेम । 5 अन । 6 निवेदन की। 7 वातको सुगम कर दिखाया। 8 रानाको संकटमें डाला। १ राना बना दिया । 10 इनके अतिरिक्त । 11 और । 12 कृपा की 13 तब मेवाड़ पुनः गाना नमरसिंहको दे दिया। 14 और सगरको रानासे रावत बना कर पूर्व में कुछ जानीनी दे दी। 15 तीर्थ गुरु पुष्करके श्री वाराह मन्दिरका सगरने जीर्णोद्धार करवाया। 16 मगरशे जीवन कालमें मर गया। 17 मानसिंहका जन्म १६२६, पाटवी इन्द्रसिंहके नरजानेके कारण रायताई इसे मिली।