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अंथ कछवाहांरी ख्यात लिख्यते ।
वात राजा प्रथीराजरी __ प्रथीराज वडो हर-भगत हुवो। द्वारकाजीरी जात' जांगा लागो । मजल एक दोय गयो, तरै श्रीठाकुर सांम्हां आया ; प्रथीराजनूं फुर- ... मायो-"म्हें जात मांनी, तू पाछो वळ, तू अठै थको घणी बंदगी करै छ, सु हूं जातसूं इधकी मानूं छू।" तरै राजा कह्यो-"हूं रावळा" हुकमसू पाछो वळीस, पण लोक आ वात मानसी नहीं।" तरै श्रीठाकुर हुकम कियो-“थारै मन मांनै सो मांग ।" तरै प्रथीराज अरज की-"म्हारा खवां चक्र है पड़े,' नै अठ महादेवरो देहरो छ त? गोमती समुद्ररो संगम है ज्यूं सारा जात्री सिनांन करै ।" तरै प्रथीराजरा खवां चक्र पड़िया; महादेवरै देहरै गोमती समुद्ररो संगम ... हुवो । आ वात सारै हिंदुस्थांन सांभळी । तरै राणे सांगै सुणी, तरै राणे जांणियो-"इसो' हरभगत राजा छ तिणरो किणी सूल दरसण .... पाऊं, वड़ी वात ।" तरै विचार कियो-"जु बेटी परणाऊं तो प्रथीराज अठै प्रावै11 ।" तरै राणे प्रथीराजनूं नाळेर मेलियो । पछै रोजा परणीजण आयो,13 सु राजा प्रथीराज ठाकुररी मानसी सेवा करतो हुतो; नै राणा सांगारो बेटो तेड़णन आयो,14 सु ओ वांसाथी बोलियो, सु राजा सोनेरै कटोरै मन मांहै श्रीठाकुरनूं सिखरण आरोगावतो छो,16 सु कंवर वांसाथी बोलियो; राजा फिर पाछो । दीठो,' कटोरो सिखरण भरियो राजारा हाथ मांहैसू छिटक पड़ियो। दुनी सोह देख हैरान हुई; राणे या वात सुणी, राणो आप पगे लागो, सु राजा वडो हरभगत हुवो। .
__I यात्रा! 2 मंजिल । 3 तू पीछा लौट जा। 4 तू यहां रहते हुये भी बहुत बंदगी करता है जिसे मैं यात्रासे भी अधिक मानता हूं। 5 आपका। 6 लौटूंगा। 7 मेरे कंधो पर चक्रोंके चिन्ह हो जायें। 8 हो जाय । 9 ऐसा। 10 जिसका किसी प्रकार दर्शन पा लूं तो बड़ी वात हो। II जो मैं अपनी कन्या व्याह दूं तो पृथ्वीराज यहां आ जावे। 12 भेजा। 13 पीछे राजा विवाह करनेको आया। 14 बुलानेको पाया। 15 सो यह पीठकी ओरसे. वोला । 16 सो राजा श्री ठाकुरजीको सोनेके कटोरेमें सिखरनका भोग लगवा रहा था ।
17 राजाने पीछेकी अोर फिर कर देखा । 18 सब ।