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________________ मुंहता नैणसीरी ख्यात 2 लाखे पाछो जवाव तो राखाइचनूं क्यूं दियों नहीं ने आपरी' नावरा खास मलाह था तिणनूं कह्यो - "सवारें" भांज राखाइचनूं नाव वैसांणनै फलांणै विट मेलने थे नाव तुरत ल्यावजो उरी ।" पछै राखाइचनं तेड़ने कह्यो - "थे नाव वैसने एक बार समंदर तमासो देख प्रावो ।” तरै नाव वैसने राखाइच दरियावरो तमासो देखा गयो । मलाहे लाखे ठोड़ वताई तठे उतारने मलाह राखाइचनूं विग पूछियां नाव उरी ले प्राया । राखाइच उरण विंट ऊपर गयो । ग्रागै देखे तो डांडी एक मांणस ग्रावणरी छै, ' तिण डांडी राखाइच चालियो जाय छै । श्रागै देखे तो वडी मोहलायत छ,' तिण मांहिसूं प्रपछरा पांच-सात सांम्ही भांणेज ! भाणेज ! करती ग्रावै छै । राखाइच देख हैरान हुआ । इण पूछियो- "थे कुण छो' ? श्रे मोहल किणरा छे" ?" तरै उ ग्रपछराने कह्यो - " मोहल लाखाजीरा है । म्हे लाखाजीरी बैरां छां" ।” नै एकण ढोलिया ऊपर मरद पोढ़ियो छे, तिको 6 7 8 0 11 २७० ] 13 दिखायो' । कह्यो–“ ग्रा लाखाजीरी देह छै ।" तरै राखाइच अपछरावांनूं पूछियो - " लाखाजी धाह कुरण वास्तै दे छै ?" तरै उण को- "लाखोजी पोढ़े छे तर लाखाजीरो जीव श्र श्रावै छै । इण देहमें प्रवेस करने म्हांसूं हसे रमे छे । पछे जागे छे तरे जीव उठे आवे छै, तिन वास्तै धाह दे छै ।" तरै राखाइच दीठौ - "ग्रा वात सत छं ।" तरे राखाइच श्रपछरावांनूं पूछियो- " तो लाखाजीरो मोहल सु तो वात जांणी, पिण ऊपर में वीजा मोहल दीसै तिकै किरा छै ?" तरै पछरा कह्यो - "हमार तो किणहीरा न छे, 16 ने वापर वैर 14 15 I अपनी | 2, 3 कल सवेरे भानजे राखाइचको नाव में बैठा कर ग्रमुक टापू पर छोड़ करके तुम नावको तुरंत वापिस ले याना । 4 बुला कर 15 राखाइचको विना पूछे नाव ले प्राये | 6 ग्रागे देखता है तो मनुष्योंके आनेकी एक पगडंडी दिखाई दी । 7 आगे बड़ा महल दिखाई देता है । 8 जिसमेंसे पांच-सात अप्सराएँ भानजा ! भानजा ! वोलती हुई सामने आ रही हैं । 9 तुम कौन हो ? 10 ये महल किसके हैं ? II हम लाखाजीकी स्त्रियां हैं 1 12 और एक पलंग पर मनुष्य सोया हुआ है, उसको दिखाया | इतने जोरसे क्यों रोते हैं ? 14 इसलिये । 15 किन्तु ऊपर ये दूसरे महल दिखाई देते हैं वे किसके हैं ? 16 अभी तो ये किसीके नहीं हैं । 13 लाखाजी
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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