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________________ १८२ ] १ मीटांण । १ वीजवा । १ आसावाड़ो । १ ग्रहावो खुरदा । १ जोखवर | १ गोवील । १ ग्रैवड़ी | भाटांरी । १ सेसू | त्रिवाड़ियांरी । १ खोड़ादरो । ९ जायल | १ नेनरवाडो । १ पातंवर । चारणांरो । थोडवाडिया । चारणांरो । मुंहता नैणसीरी ख्यात १ १ कासधरा । धधवाडिया | खींवराजनूं । १ मोरथलो । १ ग्रासादस । १ खांणां । १ मालावास । मांडली १ 1 १ जुवाद | वासडेसो | भाटांरो । १ १ धुंवावस | १ लांणो | भाटांरो । १ खुराड़ी । भाटांरी । १ ताड़तोली | वांभणांरी । १ खांडायत । वांभगांरी | १ कारोली । भाटांरी । गणकी । भाटांरी । १ १ पांडरी । भाटांरी । १ पालड़ी | रावळांरी । १ पीपळी | रावळांरो । १ वाढेल । बांभणांरी । पालडी | रावळांरी । १ १ खड़वळोदो । तिथमी | १ वात सीरोहीरा धणियां- पाटवियांरी, आबू लियांरी' ग्रावू पंवारांरै छै, सो तो घणा दिनांरो छै । राजा प्रथीराज चहुवांणरै जैत पंवार बड़ो सांवंत हुवो छै, जिण वेढ़ मांहे प्रथीराजनूं साहबी दो' । गोरी झालियो', तद जोसी जगजोत ग्राय को"दिल्ली छत्रभंग होय तिसड़ो जोग छै ।" तरै जैत पंवार कह्यो - " ग्राज वेढ़रै दिन म्हारे माथै छत्र मांडो' । श्रा अलाइ-बलाइ मोनूं I सिरोही के स्वामी और उनके पाटवियोंकी ( राजकुमारोंकी) ग्रावू पर अविकार किये जाने संबंधी वात । 2 राजा पृथ्वीराज चौहानके पास जैत पंवार बड़ा वीर सामंत हुआ है । 3 जिसने युद्धमें पृथ्वीराजको राज्य वैभवसे सम्पन्न किया । 4 शहाबुद्दीन गौरीको पकड़ | 5 दिल्ली राज्यका छत्रभंग हो ऐसा योग वन रहा है । 6 ग्राजके युद्ध के दिन छत्र मेरे पर रख दो |
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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