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________________ १२० ] मुंहता नैणसीरी ख्यात काम आया । कांहै डूंगरसीरै वडो पराक्रम कियो । किंवाड़ लोहरा अहमदनगररी पोळरा तापिया' था । तठे हाथी लाग न सके, तरै काह्न महावत कह्यो-"हू वीच आऊं छू, मोनूं वीच देने हाथी कनां किंवाड़ भंजाय नांख ।" तरै काह्न किंवाड़ां प्राडो आयो । हाथी काह्नरै मोरै दांत टेकन किंवाड़ तोड़ नांखिया । २ काह्न डूंगरसीरो। २ सूरो डूंगरसीरो। ३ भांण। ३ करमसी। ४ जसवंत। ५ केसोदास। ६ सांवळ । ७ गोपीनाथ । ८ सूरतसिंघ । मही ऊपर काम आयो । ६ सिरदारसिंघ । रांण जैसिंघरै वारै' । ३३ अखैराज डूंगरसीरो। ३३ लाल डूंगरसीरो। चीतोड़ काम प्रायो। ३४ सांवळदास। ३४ वीरभाण । रावळ करमसी उग्रसेन लडिया तद कांम आयो। ३५ मांन । संमत १६५१ मांन नै रावळ उग्रसेन विरस हुवो, तद मांन पातसाहरै वसियो । पर्छ संमत १६५८ ब्रहानपुरमें रा० सुरजमल माननूं मारियो । रावळ उग्रसेन कनां रा० सूरजमल बांभणांनूं कर लागतो सु छुड़ायो । ३६ सत्रसाल। I अहमद नगरकी पोलके किंवाड़ अग्निसे तपाये हुए थे। 2 को। 3 मैं बीचमें आता हूँ, मुझको वीचमें देकर हाथीके द्वारा किवाड़ोंको तुड़वा डाल। 4 तव कान्ह किवाड़ोंके पास आकर खड़ा रहा। 5 हाथीने कान्हकी पीठमें अपने दोनों दांतोंको टिका कर, टक्कर मार कर किवाड़ोंको तोड़ डाला। 6 मही नदी परकी लड़ाईमें काम आया। 7 समयमें । 8 वैर, शत्रुता। 9 तब मान वादशाहके पास जाकर रहा। 10 द्वारा । .. .
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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