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मुंहता नैणसीरी ख्यात काम आया । कांहै डूंगरसीरै वडो पराक्रम कियो । किंवाड़ लोहरा अहमदनगररी पोळरा तापिया' था । तठे हाथी लाग न सके, तरै काह्न महावत कह्यो-"हू वीच आऊं छू, मोनूं वीच देने हाथी कनां किंवाड़ भंजाय नांख ।" तरै काह्न किंवाड़ां प्राडो आयो । हाथी काह्नरै मोरै दांत टेकन किंवाड़ तोड़ नांखिया ।
२ काह्न डूंगरसीरो। २ सूरो डूंगरसीरो। ३ भांण। ३ करमसी। ४ जसवंत। ५ केसोदास। ६ सांवळ । ७ गोपीनाथ । ८ सूरतसिंघ । मही ऊपर काम आयो । ६ सिरदारसिंघ । रांण जैसिंघरै वारै' । ३३ अखैराज डूंगरसीरो। ३३ लाल डूंगरसीरो। चीतोड़ काम प्रायो। ३४ सांवळदास। ३४ वीरभाण । रावळ करमसी उग्रसेन लडिया तद कांम आयो। ३५ मांन । संमत १६५१ मांन नै रावळ उग्रसेन विरस हुवो,
तद मांन पातसाहरै वसियो । पर्छ संमत १६५८ ब्रहानपुरमें रा० सुरजमल माननूं मारियो । रावळ उग्रसेन कनां रा०
सूरजमल बांभणांनूं कर लागतो सु छुड़ायो । ३६ सत्रसाल।
I अहमद नगरकी पोलके किंवाड़ अग्निसे तपाये हुए थे। 2 को। 3 मैं बीचमें आता हूँ, मुझको वीचमें देकर हाथीके द्वारा किवाड़ोंको तुड़वा डाल। 4 तव कान्ह किवाड़ोंके पास आकर खड़ा रहा। 5 हाथीने कान्हकी पीठमें अपने दोनों दांतोंको टिका कर, टक्कर मार कर किवाड़ोंको तोड़ डाला। 6 मही नदी परकी लड़ाईमें काम आया। 7 समयमें । 8 वैर, शत्रुता। 9 तब मान वादशाहके पास जाकर रहा। 10 द्वारा । ..
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