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________________ ___मुंहता नैणसीरी ख्यात भोखरारी खांभ' मांहै ग्यासपुर छै । घर ५० वसै छै । त? मेरारी कदीम ठाकुराई थी। मेर मेवासी थका रहता । नै खींवो रांणा मोकलरो बेटो हुवो तिकै , जाय सादड़ी तेजमालरी उदैपुरसू कोस २५, चीतोड़सू कोस २० दिखणनू तठे जाय रह्यो। रांणो कूभो पाट छ । मांहो मांहि भायां ग्रास-वेध लागो । खींवै मांडव जाय पातसाहरी फोज आंण" मेवाड़नू वडो धको दियो। वडो ग्रासियो हुवो' । कू भो नै खींवो लड़ता रह्या; पिण खींवानू काढ़ सकिया नहीं । रोंगो कू भो नै खींवो खसता-खसता मूवा । चीतोड़ रांणो रायमल पाट बैठो । खींवारै टीके रावत सूरजमल बैठो। सु राणो रायमल नै सूरजमल घणी ही खसाखूद। सूरजमल घणी धरती गिरवा सूधी लियां रहै । सादड़ी थकां भोगवै । तद गांव १७ सांसण दिया सूरजमल । सु वे सांसण अजेस छ। रावत वाघ करमेती हाडीरै मामलै काम आयो" ! तद करमेती कना सही घताइ दी तकां गांवांरी विगत..--- १ भीमेल, १ धारता, १ गोठियो, १ वीझणो, १ वांसोलो, १ भुरखिया,..१ वालिया, थाहरुन, १ चारणखेड़ी, १ खरदेवळो, भाटरो, १ सुआळी । इतरा गांव सासण दिया। यू करतां पछै रायमलरै कवर पृथ्वीराज-उडणो" लांघां-बलाय” मोटो हुवो सु सूरजमलसू पृथीराज जोर लागो । घणी वेढ कीवी । आखर20 सादड़ी वडी वेढ़ हुई । ... I दो पहाड़ियों के बीचका: ढाल और नीचा स्थान । 2 मेरे लटेरे थके वहां रहते थे । 3 को। 4 राणा कुंभा चित्तौड़ सिंहासन पर है । 5 भाइयोंमें परस्पर भूमि-कर विभागके लिये विरोध उत्पन्न हो गया। 6 ला कर । 7 बड़ा उपद्रवी हो गया। 8 लड़ते-लड़ते । 9 द्वेप । 10 सूरजमल गिरवा तक बहुतसी भूमि दबाये वैठा है। 11 सादड़ीका भी उपभोग करता है। 12 उस समय सूरजमलनै १७ गांव दान में दिये थे। 13 अभी तक। 14 करमेती . हाडीके सम्बन्धमें जो युद्ध हुआ उसमें रावत वाघ काम आया। 16 उस समय गांवोंके ... दानपत्र में करमेतीके हस्ताक्षर करवा दिये गये जिनकी सूची इस प्रकार है। 16/17 'उडगो' और 'लांघां-बलाय' रायमलके पुत्र पृथ्वीराजके ये विशेषण हैं । उडणो= बहुत तेज गतिसे जाकर कार्य सम्पादन करने वाला.। लांघां-बलाय = इस पारसे उस पार जा कर शत्रुनों में भय उत्पन्न करने वाला, लांघने. वालोंमें बला रूप । पृथ्वीराजने एक ही दिनमें टोडा और जालोर विजय किये थे। इतनी लम्बी दूरीको लांघ कर उसी दिन दोनों स्थानों पर विजय प्राप्त करनेके असाधारण कार्यके उपलक्ष्यमें पृथ्वीराजने अपने नामके साथ ये विशेषण प्राप्त किये। 18 वेगपूर्ण पीछा किया। 19 लड़ाई। 20 अतमें ।
SR No.010609
Book TitleMunhata Nainsiri Khyat Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBadriprasad Sakariya
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1960
Total Pages377
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size17 MB
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