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________________ रामपाल पानाविधानिठान---विद्याभूषण-ग्रन्ग-गंग्रह सूची] [ ३८ पन्यनाम का | लिपिसमय पनसंख्या विशेष विवरण आदि नकल कराई है। संख्या ४६से ६५ तफ असल पुस्तकमें नहीं है। बड़े कामकी बातें हैं । अन्तमें दोहोंमें गुरुपरम्परा इस प्रकार है-रामानन्द, अनन्तानन्द, कृष्णदास पयहारी, अग्रदास, विनोददास, अनन्तदास। १७१५ २४ . ३४ ! गुटका(१) पीपापरची अनन्तदास । (२) सूचीपत्र । (३) दादूसाखी .. दादूदास (४) उत्पत्तिनिर्णय रज्जब (५) अविगतलीला (६) कबीरजीका पद कबीर (७) कबीरजीको रमैणी (चन्दैणो) (८) फोरजीको दुपदी (6) कबीरजीकी सतपदी (१०) कबीरजीको बारापदी. (११) कबीरजीको प्रष्टपदी (१२) कबीरजीको चौपदी (१३) सकलगहगहा (१४) बावनीग्रन्थ (१५) कबीरजीको साखी ८०० अंग ५७/ . , .. यह जीर्ण गुटका है, और संवत् १७१५का लिखा हुआ है। अन्त में लिखा है- संवत् १७१५ वर्षे शाके १५८० महामाङ्गलिक फाल्गुन-मासे-शुक्लपक्षे त्रयोदश्यां १३ गरुवासरे डिण्डुपुरमध्ये स्वामी विरागदासजीशिष्य स्वामी “माधोदासजी ततशिष्य वृन्दावनेनालेखि प्रात्मार्थे, शुभम् भवतु श्रीरामोजयति । .. : नोट-यह गुटका अत्यन्त जीर्ण है और पत्र तड़कने हैं, अतः श्रीपुरोहितजीकी सूचीके अनुसार ही कृतियोंके नाम यहाँ अङ्कित कर दिये हैं । पत्रोंको संख्या इनकी मरम्मत होनेके बाद ही लगाई जा सकती है। (सं.) :
SR No.010606
Book TitleVidyabhushan Granth Sangraha Suchi
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGopalnarayan Bahura, Lakshminarayan Goswami
PublisherRajasthan Prachyavidya Pratishthan Jodhpur
Publication Year1961
Total Pages225
LanguageHindi
ClassificationCatalogue
File Size9 MB
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