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राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ]
कर्ता
लिपिसमय पत्रसंख्या
..... विशेष विवरणं आदि ..
..:.
क्रमाङ्क
ग्रन्थनाम
(१४), (७) दोषदरीबे भाग ३६वां, रज्जब (८) कायावेली
दादू'. (8) अध्यात्मवोध
गरीबदास दादूपुत्र (१०) मोहविवेक
जनगोपाल दादृशिष्य (११) चौबीस गुरोंकी लीला छंद ५७ ॥ (१२) भरथचरित्र छन्द ६२
जनगोपाल (१३) ध्रुवचरित्र छन्द. १६४ . " (१४) प्रह्लादचरित्र. (१५) सुखसंवाद छन्द २०६ (१६) दत्तात्रेयके २५ गुरुओंको लीला | जगन्नाथ दादूशिष्य (१७) सर्वाङ्गयोग ..
रज्जबजी (१८) पाखर-उद्धारवावनी १५ | गुटका- .
(१) दादूजीको साखी ३७ अंग दादजी
साखी २५६३ (२) दादजीका पद ४४४ अंग ३७
११८वां ११८-११६ ११६-१२४ १२४-१२८ १२८-१३० १३०-१३३ १३३-१४० १४०-१४४ १४५-१५२ | १४५ वां पत्र नहीं है। १५४-१६२ १६० वां पत्र १६२-५०७
अपूर्ण । अन्तमें एक फटा पत्र है।
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१८२५
। ३-१२२ । आदिके दो पत्र नहीं हैं परन्तु ग्रन्थ आरंभसे है।।
१२२-२०५ | इसमें दुवाराकी साखी भी है। प्रति स्वामी
गोपालदासजी गोठड़ेवालोंके अस्तलकी है। लाल केनवासकी छींट्का गुटका।
१६ / गुटका. (१) दादूजीको साखी
१७१८९८
यह गुटका उदयपुरकी जमातका है। स्वामी सेवादासजीने भेजा हैं । इसमें भाषा प्राचीन ढंगकी है।