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राजाप्रतिष्ठान-विशाभूषण-साा-संगह-रानी।
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लिपिसमय पसंख्या
विशेष विवरण आदि
(२३८) (२) नांसार
राठोड फतेस्यंध महेस- ! १९८४ २० पेज लि.क -गोपीचन्द शर्मा जयपुर । यह वस्तुदासोत
| परिचायक उपादेय भाषा ग्रन्थ है। (सं.)। २३६ मोष पिंगल
फपि जयाण कृपाराम । १९८६ १० , लि.फ.-गोपीचन्द शर्मा, जयपुर। .. २४०.शिपET
। हरपदास प्रोहित १९८६ १०७ , रचना-१८७५शिवगढ़ में शेषावत शिवराजाज्ञासे (सिवड)
निर्मित । हररूपदासको प्रतिसे लिपीकृत ।
लि.क.-गोपीचन्द शर्मा, जयपुर। २४१ / रामाश्यमेश .
| शिवराज भूप शेषावत १९वी.श. ५१ ॥ (१) महाराज शिवगिहजी राठौररा सुरताणियां साहिबदान १६८५१-३३ ,, , , ,
पवित्त (२) स्फुट फपित्तादि ३०० अनेक कवि .
१-२३ , २४३ | शिवनारायणका एपित्त (शिवजीको तुलसीदास प्रादि | १९८२ १५ लि.फ.-पुरोहित क्षेत्रमल्ल (छीतरमल)
स्तुतिविषयक छंद २४४. राजवल्लभ (पास्तु-शिल्पग्रन्थ ) मूल | मण्उन सूत्रधार .. १९८४६६ लि.क.-गोपीचन्द शर्मा, जयपुर। २४५ (१) माताजीको दिवायण बारहट ईशरवासजी
२०वी.श. १-५ (२) हालां झालांका कुण्डलिया। २४६ निन्दा-स्तुतिगन्य ईसरनाराजी चारहटका जीवन-चरित्र |
१०-+-५-१५ एवं तत्सम्बन्धी ज्ञातव्य पान (१) वृत्तमुक्तावती (प्रथमगुम्फ:) . कविकलानिधि श्रीकृष्णभट्ट ।
भाण्डारकर प्रोरियन्टल रिसर्च इन्स्टीट्यूट, (२) , (द्वितीयगुम्फः)
पूनाको प्रतिसे लिपोकृत । ... २४६ अन्योक्तिवर्णन (अपूर्ण) । महाकवि गणपतिभारती १९६५
| लि.फ.-गोपीचन्द शर्मा, जयपुर । नौशेरयां यावशाहफे पहननेके दस ताज
२०वी.श.४
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२४७ ।
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