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— राजस्थान प्राच्यविद्याप्रतिष्ठान-विद्याभूषण-ग्रन्थ-संग्रह-सूची ] क्रमाङ्क ..: ग्रन्थनाम
क र्ता
लिपिसमय पत्रसंख्या
विशेप विवरण आदि
..८३ / (१) ध्रुवचरित्र
जनगोपाल
१-२१.
| यह गुटका सांगानेरके राव रामनारायणने
१) में सांगानेर में दिया था, जब हम स्व. पुरोहित गोपीनाथजीके साथ उनका पुस्तकसंग्रह देखने सांगानेर गए थे। स्यात् यह संवत् १९८३ के कार्तिक मासकी बात है।
| पृथ्वीराज राठौड़ | बारहठ मुरारीदान
(२) बेली (कृष्ण-रुक्मिणी) (३) विजैव्याह (४) सप्तश्लोकी गीता (५) चतुःश्लोकी भागवत (६) चतुःश्लोकी महाभारत
२१-४६ ४६-७१ ७२वा ७२-७३ ७३वाँ
यह भारत-सावित्री है जिसमें ४-५ ही श्लोक ले लिए हैं। पूर्ण परन्तु अशुद्ध अष्टाङ्ग योगकी कुछ-कुछ टीका और चक्रों के चित्रसे भी है।
८४ | ज्ञानसमुद्र
सुन्दरदास
१९७२
२६
बाबा बेनामीसाहब
आत्मबोध ८६ / फुटकर पद-कवित्त
| जयपुर राजवंशावली
| १९४११३४ २०वी.श.
जीर्ण, त्रुटित; संवत् १९९३ में मिला। महाराजा जगतसिंहजी तक है। १६ पन्ने प्रायः अशुद्ध हैं। ' . . .
८८ | होली हजारा.
स्व.पु. हरिनारायणजी द्वारा संगृहीत चतुर्भुजदास
इसमें विभिन्न स्थानों एवं सूत्रों से प्राप्त १ हजार होलीके गीतोंका संग्रह है। (सं०) . . इस गुटके के पीछे कुछ स्फुट कवित्तभी लिखे हैं।
८९ मधुमालतीकथा
१८६६
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