________________
वक्तव्य।
पाठक महोदय आप इस पुस्तक के आरम्भ में जिन महानभाव का फोटो देख रहे हैं, वे हैं आजिमगंज (मुर्शिदाबाद)निवासी वाबू डालचन्दजी सिंघी । इस समय पूर्ण सामग्री न होने से मैं आप के जीवन का कुछ विशेष परिचय कराने में असमर्थ हूँ। इस के लिये फिर कभी अवसर पा कर प्रयत्न करने की इच्छा है। ___आप कलकत्ते के भी एक प्रसिद्ध रईस हैं और वहाँ के बड़े २ धनाढ्य व्यापारियों में आप की गणना है । पर इतने ही मात्र से में आप की ओर आकर्पित नहीं हुआ हूँ; किन्तु आप में दो गुण ऐसे हैं कि जो पुण्य-उदय के चिन्ह हैं और जिन का संपत्ति के साथ संयोग होना सब में सुलभ नहीं है। यही आप की एक खास विशेषता है जो मुझे अपनी ओर आकर्षित कर रही है । यथार्थ गुण को प्रगट करना गुणानुरागिता है, जो सच्चे जैन का लक्षण है । उक्त दो गुणों में से पहिला गुण 'उदारता' है। उदारता भी केवल आर्थिक नहीं, ऐसी उदारता तो अनेकों में देखी जाती है । पर जो उदारता धनवानों में भी बहुत कम देखी जाती है, वह विचार की उदारता आप में है। इसी से आप एक दृढतर जैन हैं और अपने संप्रदाय में स्थिर होते हुए सब के विचारों को समभाव पर्वक सुनते हैं तथा उन का यथोचित