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प्रतिक्रमण सूत्र । अन्वयार्थ-' भगवन् ' हे गुरु महाराज ! : इच्छाकारेण' इच्छा से इच्छापूर्वक संदिसह' आज्ञा दीजिये जिससे मैं ] 'इरियावहियं ' ईर्यापथिकी क्रिया का पडिक्कमामि' प्रतिक्रमण करूँ । ‘इच्छं' आज्ञा प्रमाण है।
* इच्छामि पडिक्कमिउं इरियावहियाए विराहणाए । गमणागमणे, पाणक्कमणे, बीयकमणे, हरियक्कमणे, ओसा-उत्तिंग-पणग-दग-मट्टी-मक्कडासंताणा-संकमणे जे मे जीवा विराहिया-एगिदिया, वेइंदिया, तेईदिया, चउरिंदिया, पंचिंदिया, आभिहया, वत्तिया, लेसिया, संघाइया, संघट्टिया, परियाविया, किलामिया, उद्दविया, ठाणाओ ठाणं संकामिया, जीवियाओ ववरोविया तस्स मिच्छा मि दुकडं ॥
अन्वयार्थ---‘इरियावहियाए' ईर्यापथ-सम्बन्धिनी--रास्ते पर चलने आदि से होने वाली 'विराहणाए' विराधना से 'पडिक्कमिडं ' निवृत्त होना--हटना व बचना · इच्छामि । चाहता हूँ [तथा ] 'मे' मैंने ‘गमणागमणे ' जाने आने में 'पाणक्कमणे ' किसी प्राणी को दबा कर ' बीयकमणे ' बीज को दबाकर ' हरियक्कमणे' वनस्पति को दबाकर [ या]
* इच्छामि प्रतिक्रमितुं ईर्यापथिकायां विराधनायां । गमनागमने,
प्राणाक्रमणे, बीजाक्रमणे, हरिताक्रमणे, अवश्यायोतिङ्गपनकोदकमृत्तिकामर्कटसंतानसंक्रमणे ये मया जीवा विराधिताः-एकेन्द्रियाः