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प्रतिक्रमण सूत्र ।
का सेचन अर्थात् उसको अभिषिक्त किया । भगवान् पर जो नागफण का चिह्न है, वह पल्लव के समान है । मोक्ष-फल को देने वाला वह पार्श्व-कल्पतरु मेरे इष्ट को नित्य पूर्ण करे ।
आधिव्याधिहरो देवो, जीरावल्लीशिरोमणिः । पार्श्वनाथो जगन्नाथो, नतनाथो नृणां श्रिये ॥२॥
अर्थ-आधि तथा व्याधि को हरने वाला, जीरावल्ली नामक. तीर्थ का नायक और अनेक महान् पुरुषों से पूजित, ऐसा जो जगत् का नाथ पार्श्वनाथ स्वामी है, वह सब मनुष्यों की संपत्ति का कारण हो ॥२॥
[ श्रीपार्श्वनाथ का चैत्य-वन्दन । ]
जय तिहुअणवरकप्परुक्ख जय जिणधनंतरि, जय तिहुअणकल्लाणकोस दुरिअक्करिकेसरि । तिहुअणजणअविलंधिआण भुवणत्तयसामिअ, कुणसु सुहाइ जिणेस, पास थंभणयपुरहिअ ॥१॥
(२) तइ समरंत लहंति झत्ति वरपुत्तकलत्तइ, धण्णसुवण्णहिरण्णपुण्ण जण भुंजइ रज्जा। पिक्खइ मुक्ख असंखसुक्ख तुह पास पसाइण, इअ तिहुअणवरकप्परुक्ख सुक्खइ कुण मह जिण ॥२॥ जरजज्जर परिजुण्णकण्ण नट्ट सुकुट्टिण, चक्खुक्खीण खएण खुण्ण नर सल्लिय सूलिण ।